Wednesday, April 01, 2020


साथी Shravan Yadav Ratlami ने आज भारतीय संस्कृति की थोड़ी निंदा कर दी ! अचानक मेरे सर पर देशभक्ति और धर्मरक्षा की देवी सवार हो गयी ! फिर मैंने इन कटु-कठोर शब्दों में उनकी निंदा-भर्त्सना की :

"पवित्र गोबर में लिथड़े, सर्वकष्टनिवारक गोमूत्र का विधिपूर्वक पान करते,, हवन के धुएँ में खों-खों करते और पंचगव्य खाकर डकार मारते, कुण्डली-मिलान करके सजातीय सुशील कन्या छांटने के बाद तलवार लेकर घोड़े पर चढ़कर सडकों पर पीकर भंगड़ा करते बरातियों के साथ दुल्हन लाने जाते, मनु के विधानों को निष्ठापूर्वक लागू करते, राहू द्वारा सूर्य को ग्रस लेने पर स्नान करते, अर्घ्य देते, सत्यनारायण और संतोषी माता की व्रत-कथा सुनते, आज की सभी वैज्ञानिक खोजों को अपनी पवित्र-पुरातन धर्म-ग्रंथों में ढूँढ निकालते, वर्णाश्रम धर्म का आज भी निष्ठापूर्वक पालन करते, कौव्वा बने पितरों को पिंडा खिलाते, थाली और ताली बजाकर महामारी भगाते, सभी दुष्कर्म करके गंगा नहाते, मोदी जैसे महाभाग को अपना पिता बनाते,.धर्म-रक्षा के लिए वीरतापूर्वक जनसंहार और सामूहिक बलात्कार करते,.. ... इस पावन भारत भूमि अर्थात आर्यावर्त के सौभाग्यशाली निवासियों के बारे में ऐसी अशोभन-अपावन बातें लिखते आपको लज्जा न आयी सो कोई बात नहीं, भय भी नहीं हुआ ! सावधान हे पामर पापी ! कल्कि अवतार हो चुका है ! उसकी धर्म-रक्षा-वाहिनियाँ पापियों के विनाशार्थ मार्गों-वीथिकाओं पर निकल चुकी हैं ! अपनी मातृभूमि और धर्म पर गर्व करना सीखो, अन्यथा नास्तिकों और विधर्मियों और कर्तव्य-पालन से च्युत होते निम्न वर्ण के लोगों के साथ, तुम्हारा भी नाश अवश्यम्भावी है !"

(23मार्च, 2020)

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