Friday, April 03, 2020


एक संघी फासिस्ट मेरा राजनीतिक परिचय नहीं जानता था ! समझता था कि मैं धार्मिक भाव से कुछ जन-सेवा किया करती हूँ ! मेरी एक दोस्त का चाचा था ! एक दिन श्रद्धापूर्वक चाय पर बुलाया ! कहने लगा कि जनसेवा के साथ-साथ कुछ गो-सेवा भी कर दिया करूँ ! मैंने बात टालने के लिए उसके भव्य बंगले के भव्य ड्राइंग रूम में इधर-उधर देखते हुए कहा,"देखिये, गो-सेवा की बदौलत आपके ऊपर तो लक्ष्मीजी ने कृपा की बारिश ही कर दी है !" संघी हाथ जोड़कर कृतज्ञता प्रकट करने लगा ! फिर मैंने कहा,"लक्ष्मीजी ने आपको अपना वाहन बना लिया है !" संघी बणिया सोफे से उतरकर फर्श पर बैठ गया हाथ जोड़कर,"बहनजी, आपके मुँह में घी-शक्कर !"

(28मार्च, 2020)

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