Wednesday, January 08, 2020


गीदड़ की मौत आती है तो वह शहर की ओर भागता है !

और जब फासिस्ट की मौत आती है तो वह अपने दमन के अतिरेक से नौजवानों को बग़ावत के लिए उकसाता है और सोई हुई मेहनतकश जनता को उठ खड़ा होने की चुनौती देता है !

(6जनवरी,2020)


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हिसाब होगा ! एक-एक चोट का हिसाब होगा ! खून के एक-एक क़तरे का हिसाब होगा !

(6जनवरी,2020)


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तानाशाह एक आत्ममुग्ध व्यक्ति है । वह चाहता है कि सभी उसपर मुग्ध रहें । वह आलोचना करने वाली हर आवाज़ को कुचल देना चाहता है । हर तानाशाह की तरह वह एक दिन लोगों के नफ़रत के समन्दर में डूबकर मर जायेगा । उसकी सड़ी हुई लाश निकालकर इतिहास के मुर्दाघर में रख दी जायेगी ।

(7जनवरी,2020)

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तानाशाह डर गया है कि लोगों ने डरना बन्द कर दिया है !

डरा हुआ आततायी और अधिक खूँख्वार हो जाता है !

पर ज़ुल्म जितना अधिक बढ़ता जाता है, प्रतिरोध की ज़मीन उतनी ही मज़बूत होती जाती है !

तानाशाह मुखौटा लगाता है और यह भूल जाता है कि नीचे वह अलफ़ नंगा है !

तानाशाह के खूनी गिरोहों को, भाड़े के हत्यारों और उन्मादियों के झुंडों को, शान्ति-पाठ करके अहिंसक भिक्षुओं की मण्डलियों में तब्दील नहीं किया जा सकता ! उन्हें सड़कों पर दौड़ा-दौड़ाकर बहुत तबीयत से पीटना होता है !

बर्बरों से बहस नहीं की जाती ! उनका फैसलाकुन ढंग से मुकाबला किया जाता है ! उन्हें शब्दों से नहीं, लट्ठ से समझाया जाता है !


लोग निर्भीक होकर सड़कों पर उतरने लगे हैं ! इसलिए फासिस्ट भयातुर हो उठे हैं ! संगठित होना और लड़ते हुए लम्बी लड़ाई की तैयारी करते जाना -- बस यही एकमात्र विकल्प है !

(8जनवरी,2020)


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