राह अभी काफ़ी लम्बी है, और विकट कठिनाइयों और चढ़ावों-उतारों भरी भी !
आत्मधर्माभिमानी, आत्मतुष्ट, अहम्मन्य या निश्चिन्त क्रांतिकारियों को हालात की ठोकरें अभी काफ़ी सबक सिखायेंगीI जो बहुत जल्दी आसमान के तारे तोड़ लेने को उतावले हैं, वे भी यथार्थ की कठोर सतह पर उतर आयेंगे!
फासिज्म का कहर बरपा होना शुरू हो चुका है I क्या हम संजीदगी से मुकाबले के लिए तैयार हो रहे हैं ? क्या हम हर कीमत चुकाने और सब कुछ झेलने को तैयार हैं ?
बहरहाल, राह लम्बी है तो है ! कठिन है तो है ! हमें निरंतर, अनथक, अपनी यात्रा जारी रखनी है ! अपना काम करते जाना है ! अंतरात्मा के साथ किया अपना करार निभाते रहना है !
क्रांतियाँ टाइम-टेबल बनाकर तो की नहीं जातीं ! ऐतिहासिक बदलावों का कालखंड अगर अपेक्षा से अधिक लंबा है, तो क्या ?
ऐसे समय होते हैं जब इतिहास चन्द दिनों के काम को सदियों में पूरा करता है ! और फिर ऐसे भी समय आते हैं जब इतिहास सदियों का काम चन्द दिनों में निपटा देता है !
(29सितम्बर, 2019)
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