कुछ दिनों के अंतराल पर फेसबुक पर वापस लौटी तो पाया कि भक्तों के थोक भाव से रिपोर्ट करने पर फेसबुक टीम ने 7 अगस्त की मेरी जिस पोस्ट को निमित्त बनाते हुए मेरे अकाउंट को डिसएबल कर दिया था और मेरे तथा कई साथियों के आपत्ति दर्ज कराने पर खेद प्रकट करते हुए फिर अपनी कार्रवाई वापस ले ली थी, अब फिर से उस पोस्ट को ही हटा दिया गया है I फेसबुक टीम का बहाना वही घिसा-पिटा है कि कुछ लोगों की शिकायत पर पाया गया कि मेरी पोस्ट fb के कम्युनिटी स्टैण्डर्ड के ख़िलाफ़ है ! जबकि मैं पहले ही बता चुकी हूँ कि कहीं से भी, किसी भी तरह मैंने फेसबुक के मानकों का उल्लंघन नहीं किया है !
जाहिर है कि अब मैं कोई शिकायत भी नहीं दर्ज कराने जा रही हूँ ! फेसबुक की भारतीय/हिन्दी टीम पर भगत टाइप लोग ही बैठे हैं और जुकरबर्ग महराज को भी व्यापार ही तो करना है !अब मुनाफ़ा चाहे जनवाद बेचने से हो, फासिज्म बेचने से हो, या सांडे का तेल बेचने से, बात तो एक ही है ! भई, हुकूमत में अगर जरायमपेशा लोग बैठे हों, तो भी उनसे बनाकर तो चलना ही पड़ता है व्यापारियों को ! लेकिन हम भी बता दें कि लोक-अधिकारों की लड़ाई हम जुकरबर्ग देव के रहमो-करम पर रहते हुए नहीं लड़ रहे हैं ! जबतक गुंजायश होगी इस मंच पर अपनी बात कहेंगे, नहीं तो 'राम-राम' कहकर चलते बनेंगे I सड़क पर चिल्लाकर अपनी बात कहने और पर्चे-पुस्तिका निकालकर जन-जन तक पहुँचाने से कौन रोक सकेगा ? सड़क तो किसी के बाप की नहीं है ! और लोगों को जब सड़क पर भी उतरने से रोका जाने लगता है तो देर-सबेर क्या होता है, यह लोग अब भूल चुके हैं ! कोई बात नहीं I देखेंगे तो याद आ जाएगा !
(19अगस्त, 2019)
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