Thursday, June 20, 2019


अलीगढ़ में ट्विंकल की बर्बर हत्या को लेकर उ.प्र. के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही से जब प्रदेश की कानून व्यवस्था के बारे में पूछा गया तो मंत्रीजी पहले मुस्कुराए और फिर बोले कि ऐसी घटनाएँ हो जाती हैं ! इसी पार्टी की एक नेता किरण खेर ने कभी कहा था कि बलात्कार तो इस देश की संस्कृति है, उससे भला छुटकारा कैसे पाया जा सकता है ! शाहीजी उस योगी के मंत्रिमंडल के सदस्य हैं जिसकी उपस्थिति में उसकी हिन्दू युवा वाहिनी के एक शख्स ने बदला लेने के लिए मुस्लिम औरतों को कब्र से निकालकर बलात्कार करने की बात भरी सभा में मंच से की थी ! इसी पार्टी के लोगों ने आसिफा के बलात्कारी हत्यारे के पक्ष में जुलूस निकाला था ! कहने की ज़रूरत नहीं कि 2002 में गुजरात में सैकड़ों मुस्लिम स्त्रियों के साथ सामूहिक बलात्कार के बाद उनकी ह्त्या करने वाले लोग कौन थे ! और फिर बाबू बजरंगी को भला कैसे भूला जा सकता है !

फासिस्टों के मनोविज्ञान और रुग्ण मनःस्थिति पर कई गंभीर अध्ययन हुए हैं ! सभी फासिस्ट भीषण मनोरोगी होते हैं ! 'नूरेम्बर्ग ट्रायल' की कार्यवाही को पढ़िए I बोरिस पोलेवोई ने काफी विस्तार से (The final reckoning : Nuremberg diaries / Boris Polevoi) उन नात्सियों के बारे में लिखा है जो गैस चैम्बर में बच्चों-स्त्रियों को झोंकने में कर्तव्य-पूर्ति का संतोष और आनंद दोनों महसूस करते थे I नात्सी जर्मनी में इंसानी चमड़ी से पर्स, बेल्ट, सैंडल आदि बड़े पैमाने पर बनते थे और प्रयोगशालाओं में सिर्फ मृत शरीरों पर ही नहीं, ज़िंदा इंसानों पर भी प्रयोग होते थे ! फासिज्म जब अंतस्तल में पैठ जाता है तो राजनीति से आगे जीवन-दृष्टि बन जाता है -- चरम मानव-द्रोही जीवन-दृष्टि ! इससे ग्रस्त व्यक्ति एक आत्म-सम्मोहित, घोर परपीड़क और विमानवीकृत मानस का व्यक्ति होता है ! उसकी मानवीय और सामाजिक चेतना विघटित हो चुकी होती है ! जो पक्का फासिस्ट होता है, वह पूँजीवादी मनोरुग्णता का सजीव मूर्त रूप होता है I

हमारा चरम रुग्ण पूँजीवादी समाज ऐसे लोगों से भरता जा रहा है जो दिखने में शरीफ नागरिक होते हैं, नैतिकता, देशप्रेम आदि-आदि की बातें करते हैं, पर जिनकी आत्मा की जगह एक खोखल होता है जिसमें एक बर्बर हत्यारा छुपा बैठा होता है !

(7जून, 2019)

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