Saturday, May 04, 2019


आज ही के दिन लाल सेना के योद्धाओं के हाथ पड़ जाने के भय से थरथर काँपते हिटलर ने अपनी कनपटी से पिस्तौल सटाकर खुद को गोली मार ली थी !

अप्रैल के महीने में दुनिया के सारे फासिस्टों का भय के मारे पेट खराब रहता है और रात-रात भर दुस्वप्न सताते रहते हैं। 1945 में अप्रैल के पूरे महीने दुनिया के पहले मज़दूर राज -- सोवियत संघ के लाल योद्धा फासिस्ट खूनी भेड़ियों को यूरोप की सड़कों पर दौड़ाते रहे और उनका शिकार करते रहे I यूरोप के फासिस्ट-विरोधी छापामार दस्ते भी उनका साथ देते रहे I 29 अप्रैल को इटली के छापामारों ने मुसोलिनी को उसके लग्गू-भग्गुओं के साथ चौराहे पर फाँसी पर लटका दिया और 30 अप्रैल को, यानी आज ही के दिन,लाल सेना से घिरे हुए हिटलर ने अपने बंकर में खुद को गोली मार ली !

चचा तो कभी के लटक गए और ताऊ ने अपनी ही खोंपड़ी उड़ा ली, लेकिन उनकी औलादें आज फिर से दुनिया के कई देशों में खूनी उत्पात मचाये हुए हैं ! ये दरिन्दे जब संसदीय राजनीति के गलियारे में कम्युनिस्ट नामधारी लिजलिजे लिबरल्स को टहलते-रेंगते देखते हैं तो इन्हें थोड़ी आश्वस्ति महसूस होती है पर ये पूरी तरह भयमुक्त नहीं हो पाते क्योंकि इन्हें 29-30 अप्रैल,1945 का हौव्वा सताता रहता है I ये जानते हैं कि क्रांति की लहर पर प्रतिक्रान्ति की लहर अभी हावी है, लेकिन यह 'इतिहास का अंत' नहीं है ! जिन्होंने 1945 में दुनिया को फासिज्म से बचाया था, उनके वंशज अभी भी इस पृथ्वी पर यहाँ-वहाँ मौजूद हैं ! वे सर्वहारा क्रांति के नए संस्करण की सर्जना के लिए निरंतर काम कर रहे हैं ! व्यवस्था के जिस सुदीर्घ ढाँचागत संकट ने आज फासिज्म को जन्म दिया है, उस संकट को ये विकासमान शक्तियाँ क्रांतिकारी संकट में तबदील कर सकती हैं ! एक नयी क्रांतिकारी लहर के दौरान आज के नए फासिस्ट उभार को कुचलने का काम भी यही शक्तियाँ करेंगी !

'फासिस्ट बर्बरों के हाथों सभ्यता का विनाश या फिर सर्वहारा क्रांतियों के रास्ते मानव मुक्ति का अग्रवर्ती प्रयाण' -- विकल्प बस दो ही हैं ! निराश-निठल्ले-बुज़दिल-घरघुस्सू-कबूतरदिल बौद्धिकों को अमूर्त-अकर्मक सिद्धांतों की पागुर करने के लिए उनके अध्ययन-कक्षों में छोड़ देना होगा और फासिज्म विरोधी संघर्ष को पूँजीवाद-साम्राज्यवाद विरोधी संघर्ष की कड़ी बना देने के काम में जुट जाना होगा !

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सोच रही हूँ कि यह जो आर्यावर्त का महामूर्ख, महाझूठा, महाअसभ्य, महाकुंठित बर्बर हत्यारा फासिस्ट तानाशाह है, यह कल और आज अपने विशाल महल के किसी गर्भगृह में बैठकर हिटलर और मुसोलिनी को श्रद्धांजलि दे रहा होगा, या फिर उनके हश्र को याद करके, जब भी मौक़ा मिल रहा होगा, टॉयलेट की ओर दौड़ लगा रहा होगा !

(30अप्रैल, 2019)

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