Wednesday, May 22, 2019


(इस वर्ष महान बोल्शेविक क्रान्तिकारी, शिक्षाविद् और लेनिन की जीवन-संगिनी नादेज़्दा क्रुप्स्काया (26 फ़रवरी 1869-27 फ़रवरी 1939) की 150वीं जयन्ती है I उम्र में वह लेनिन से एक वर्ष बड़ी थीं I अगले वर्ष लेनिन की 150वीं वर्षगाँठ होगी I इस अवसर पर हम क्रुप्स्काया द्वारा लिखे गए एक लेख 'कम्युनिस्ट नैतिकता के बारे में लेनिन के विचार' का एक दिलचस्प और महत्वपूर्ण अंश यहाँ प्रस्तुत कर रहे हैं ! मेरा अपना ख़याल है कि कुछ सार्थक जीवन जीने की चाहत रखने वाले युवाओं को यह अंश बहुत गौर से पढ़ना चाहिए I)

लेनिन का सम्बन्ध क्रान्तिकारियों की उस पीढ़ी से था जो पिसारेव, श्चेद्रिन, नेक्रासोव, दोब्रोल्युबोव और चेर्नीशेव्स्की के प्रभाव में, उन्नीसवीं शताब्दी के सातवें दशक के क्रान्तिकारी जनवादी कवियों के प्रभाव के साये तले, पली-बढ़ी थी I 'इस्क्रा' (यह सेंट पीटर्सबर्ग से 1859 से 1873 तक प्रकाशित होने वाली क्रान्तिकारी जनवादी विचारों की अग्रणी वैचारिक राजनीतिक-साहित्यिक पत्रिका थी I बाद में लेनिन ने इसी नाम से सुप्रसिद्ध बोल्शेविक पार्टी मुखपत्र का प्रकाशन किया था ) के कवि पुरानी अर्द्ध-दास व्यवस्था के अवशेषों का निर्ममता से मज़ाक़ उड़ाते थे; दुराचारिता, दासवृत्ति, खुशामदीपन, धोखाधड़ी, अधकचरेपन तथा नौकरशाहाना तौर-तरीकों पर वे कठोर प्रहार करते थे I उन्नीसवीं शताब्दी के सातवें दशक के लेखक कहते थे कि जीवन का और भी अधिक समीप से अध्ययन किया जाना चाहिए और पुरानी सामंती व्यवस्था के अवशेषों को खोलकर स्पष्ट कर देना चाहिए I लेनिन अपने प्रारम्भिक जीवन से ही अधकचरेपन, गपबाज़ी, समय की व्यर्थ बर्बादी, "सामाजिक हितों" से पारिवारिक जीवन को विलग रखने की बात से नफ़रत करते थे; स्त्रियों को खिलवाड़ की चीज़ बनाने, उन्हें मनोरंजन की वस्तु अथवा आज्ञाकारिणी दासी का रूप देने की बात से वे घृणा करते थे I उसतरह के जीवन से उन्हें हार्दिक घृणा थी जिसमें कुटिलता और अवसरवादिता हो I चेर्नीशेव्स्की के उपन्यास 'क्या करें' से इलिच को विशेष प्रेम था, श्चेद्रिन का तीखा व्यंग्य उन्हें बहुत पसंद था; 'इस्क्रा' के कवियों को वह बहुत चाहते थे -- उनकी अनेक कविताएँ उन्हें याद थीं I नेक्रासोव से वह प्यार करते थे I

अनेक वर्षों तक व्लादिमीर इलिच को जर्मनी, स्विटज़रलैण्ड, इंग्लैंड और फ्रांस में प्रवास करना पड़ा था I वे मज़दूरों की सभाओं में जाते थे, मज़दूरों की ज़िन्दगियों का गहराई से अध्ययन करते थे, इस चीज़ को समझने की कोशिश करते थे कि अपने घरों में वे किसतरह रहते हैं और अपनी छुट्टी के समय को कहवा घरों अथवा घूमने-फिरने में किसतरह बिताते हैं ...

परदेस में हमलोग काफ़ी ग़रीबी की हालत में रहते थे Iज़्यादातर हम सस्ते किराए के कमरों में रहते थे जहाँ हर तरह के लोग ठहरते थे I हमलोग अनेक तरह की मकान मालकिनों के यहाँ रहे थे और सस्ते ढाबों में खाना खाते थे I इलिच को पेरिस के कहवाघर बहुत पसंद थे; उनमें गाने वाले लोग अपने जनवादी गीतों में पूँजीवादी जनवाद और रोज़मर्रा की ज़िंदगी के अनेक पहलुओं की तीव्र आलोचना किया करते थे I मौन्तेगस के गीत इलिच को विशेष तौर पर अच्छे लगते थे I वह एक कम्युनार्ड का बेटा था; शहर के बाहरी हिस्सों में रहने वाले लोगों की ज़िंदगी के बारे में वह अच्छी कविताएँ लिखता था I एक बार एक सांध्यकालीन पार्टी में इलिच की मौन्तेगस से मुलाक़ात हो गयी थी; फिर वे क्रान्ति, मज़दूर आन्दोलन तथा समाज के बारे में आधी रात बीतने के बहुत देर बाद तक बातें करते रहे थे I समाजवाद किसतरह एक नए जीवन की सृष्टि करेगा और जीवन की समाजवादी पद्धति क्या है, आदि विषयों पर वे बहुत देर तक बातें करते रहे थे I

नैतिकता के प्रश्नों को व्लादिमीर इलिच सदैव विश्व-दर्शन के प्रश्नों के साथ जोड़कर देखते थे ... उन्होंने कहा कि कम्युनिस्ट नैतिकता का लक्ष्य मानव समाज को ऊँचे स्तर पर ले जाना, श्रम के शोषण का अंत कर देना होना चाहिए I कम्युनिज्म के संघर्ष को मज़बूत करना तथा, अंत में, उसकी स्थापना करना -- यही कम्युनिस्ट नैतिकता का आधार होता है I एकता, अपने ऊपर काबू रखने की क्षमता, नयी सामाजिक व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए अनथक रूप से आवश्यक काम करने की योग्यता, इस लक्ष्य-प्राप्ति के लिए आवश्यक कठोर तथा सचेत अनुशासन कायम करने की ज़रूरत, तथा निर्धारित कार्यों की पूर्ति के लिए सुदृढ़ एकता स्थापित करने की आवश्यकता का कितना महत्व है, इसे स्पष्ट करने के लिए लेनिन ने ठोस उदाहरण दिए थे I युवाओं से इलिच ने कहा था कि उन्हें चाहिए कि अपनी सारी शक्ति, अपने सारे श्रम को वे सामान्य लक्ष्य की प्राप्ति के उद्देश्य के लिए उत्सर्ग कर दें I

और इस काम को किसतरह करना चाहिए -- इसका आदर्श स्वयं लेनिन का अपना जीवन था I इलिच और किसीतरह से रह ही नहीं सकते थे, वह नहीं जानते थे कि और किसी तरह से कैसे रहा जा सकता है I किन्तु कोई बैरागी-संन्यासी वह नहीं थे; स्केटिंग करना और तेज़ साइकिल चलाना, पर्वतारोहण करना और शिकार खेलना उन्हें अत्यंत प्रिय थे I संगीत से उन्हें प्रेम था I जीवन से, वह उसके समस्त इन्द्रधनुषी सौन्दर्य के साथ प्यार करते थे I अपने साथियों को वह प्यार करते थे, वह आम लोगों को प्यार करते थे I उनकी सादगी, प्रसन्नता-भरी उनकी संक्रामक हँसी से हर एक परिचित है I किन्तु उनसे सम्बंधित प्रत्येक चीज़ एक मुख्य लक्ष्य के अधीन थी -- वह उस संघर्ष के अधीन थी जो सबके लिए एक उज्जवल, प्रबुद्ध, समृद्ध तथा सुखी जीवन की सृष्टि के लिए किया जा रहा था I इस संघर्ष की सफलताओं से जितनी अधिक खुशी उन्हें होती थी उतनी और किसी चीज़ से नहीं होती थी I उनके जीवन का निजी पक्ष उनके काम के सामाजिक पक्ष से स्वाभाविक रूप से मिल जाता था ...

(14मई, 2019)

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