Friday, March 29, 2019


एक थानेदार साब मेरी एक दोस्त के मकान मालिक हैं I आज काफ़ी थके और झुँझलाए हुए थे I बोले, हवालात में बंद जेबकतरे, लम्पट, लफंगे, नशेड़ी, पत्तेबाज़ -- सभी लगातार आज दिन भर नारे लगाते रहे, "मैं भी चौकीदार !"

यह भी पता चला कि देहरादून डिस्ट्रिक्ट जेल में बंद तमाम जरायमपेशा अपराधियों ने "मैं भी चौकीदार" के नारे लगा-लगाकर पहरेदारों के कान पका दिए हैं !

गली के नुक्कड़ पर पान-सिगरेट की दूकान पर खड़े जो शोहदे आती-जाती लड़कियों पर फब्तियाँ कसते थे, आज शाम को उधर से गुज़रते हुए देखा कि वे भी "मैं भी चौकीदार" का नारा लगा रहे थे I

आज सुबह जब दूधवाले से एक बार फिर दूध में पानी मिलाने की शिकायत की तो वह मुट्ठियाँ तानकर गरजते हुए बोला,"मैं भी चौकीदार !"

आज ही सुबह यह भी पता चला को रात को सीटी बजाकर, लाठी पटककर जो आदमी मोहल्ले की चौकीदारी करता था, वह पी.डब्ल्यू.डी. के गोदाम से सीमेंट-सरिया सरकाने वाले गिरोह का सरगना था !

वाह दुग्गल साब वाह ! आपने तो लूट लिया ! दिल ! एकदम से ज़माने की हवा ही बदल दी ! दुश्मनों की ढिबरी टाइट कर दी !

(17मार्च, 2019)

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