Saturday, February 23, 2019


शक और गहरा हो रहा है ! उत्तर भारत के अधिकांश शहरों में उन्मादी नारों के साथ जुलूस निकल रहे हैं ! और नारे कुछ इस प्रकार के लग रहे हैं और तख्तियों पर लिखे गए हैं कि 'हमें नौकरी नहीं बदला चाहिए', ', हम भूखों रह लेंगे पर मोदीजी, बदला लो', 'आम चुनाव रोक दो, पाकिस्तान को ठोंक दो', 'पाकिस्तान की माँ की ...', 'देश को बचाओ मोदीजी को फिर से लाओ'... ! स्कूली बच्चे भी तख्तियाँ लेकर जुलूस निकाल रहे हैं I इनमें सरस्वती शिशु मंदिरों के बच्चों के साथ ही प्राइवेट स्कूलों के बच्चे बड़े पैमाने पर शामिल हैं ! इन प्राइवेट स्कूलों के मैनेजमेंट से भाजपा के नेता जुलूस निकलवाने के लिए कह रहे हैं ! इन जुलूसों में मुसलमानों को गद्दार और पाकिस्तान-परस्त बताते हुए भी नारे लगाए जा रहे हैं ! मुस्लिम आबादी की बस्तियों से गुजरते हुए जानबूझकर तनाव उकसाने और आतंक पैदा करने की कोशिशें की जा रही हैं ! 'जी न्यूज़', 'आजतक', 'रिपब्लिक टीवी, 'सुदर्शन, आदि चैनल तो दिन-रात ज़हर उगल रहे हैं ! भाड़े के साइबर प्रचारकऔर साइबर गुंडे सक्रिय हो गए हैं ! व्हाट्सअप आदि के जरिये अफवाहों और फासिस्ट प्रचारों का घटाटोप फैला दिया गया है ! देहरादून, उदयपुर, बिहार और देश के कई शहरों में कश्मीरी छात्रों और दुकानदारों पर हमले तो पुलवामा के दूसरे दिन ही शुरू हो गए थे ! जम्मू की मुस्लिम बस्तियों पर भी हमला उसी दिन हो गया था ! मोदी सहित भाजपा के नेता अगले ही दिन से धुआँधार रैलियों में जुट गए थे I CRPF के शहीद हुए जवानों की लाशों के साथ कई भाजपा नेताओं ने बाकायदा रोड शो किये !

उन्मादी देशभक्ति का प्रेत उन आम घरों के अधिकांश लोगों के सिर पर भी चढ़कर नाच रहा है जो जी.एस.टी. , नोटबंदी, रिकार्डतोड़ बेरोज़गारी और आसमान छूती मँहगाई से बेहद परेशान थे और मोदी सरकार को गालियाँ दे रहे थे ! राममंदिर का मामला फुस्स हो गया था, 'हिन्दू' अखबार के भांडा फोड़ने के बाद रफ़ालगेट से चेहरे पर कालिख पुत चुकी थी, सी.बी.आई. काण्ड से भी खूब भद्द पिटी थी, महागठबंधन और प्रियंका के राजनीति में उतरने से माहौल बदलने की चिन्ताएँ भी थीं, लोग भाजपाइयों को सड़कों पर घेरकर 15 लाख वाले जुमले के बारे में पूछते थे ! पर अब ये सारी बातें कहीं नेपथ्य में चली गयी हैं ! पुलवामा की घटना के बाद भाजपाइयों के चेहरे खिले हुए हैं ! एक बार फिर यह साबित हो रहा है कि अंधराष्ट्रवादी उन्माद ही फ़ासिस्टों का अन्तिम शरण्य और अन्तिम अस्त्र होता है ! बुर्जुआ राष्ट्रवाद के इस विकृत-खूनी रूप के आगे अन्य बुर्जुआ पार्टियों के बुर्जुआ राष्ट्रवाद का रंग काफ़ी फीका पड़ जाता है और वे भी अपने को "देशभक्त" साबित करने के लिए अन्य सारे मसलों को आलमारी में बंद कर देने को विवश हो जाते हैं ! सोशल डेमोक्रेट भी या तो "देशभक्ति" की लहर में बहने लगते हैं या इस डर से चुप्पी साध लेते हैं कि उन्हें देशद्रोही क़रार दे दिया जाएगा, या सीधे गलत चीज़ पर उंगली उठाने की जगह मिमियाकर और घुमाफिराकर कूट भाषा में बात करने लगते हैं !

याद कीजिए ! अमरनाथ यात्रियों पर हमला भी चुनावों के ठीक पहले हुआ था ! उरी की घटना भी चुनावों के ठीक पहले हुई थी ! इसलिए शक तो होता ही है ! जिसे नहीं होता, वह न तो इतिहास के बारे में कुछ जानता है, न ही फासिस्टों की कार्य-प्रणाली के बारे में ! आ रही है बात समझ में ? जिनके आ रही है, वे तो कम से कम जाग जाएँ और इन बातों को सभी संभव माध्यमों से ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचायें ! अरे, कम से कम इस पोस्ट को तो शेयर करके, ग्रुपों में डालकर और अन्य माध्यमों से ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचाइये ! सिर्फ़ लाइक करके मत रह जाइए !

(19फरवरी, 2019)

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