पहले चुम्बन और वाइन के दूसरे गिलास तक हम सभी नश्वर प्राणी होते हैं।
🤪🤪😃😃
(अमरत्व और मोक्ष-प्राप्ति का यह मार्ग गालेआनो अगर लैटिन अमेरिका की जगह भारत में पैदा होकर बताते तो सोचिये, संस्कारी लोग उन्हें कितना धिक्कारते और बजरंगिये और श्रीराम सेने वाले किसतरह उनके पीछे पड़ जाते !)
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बुराई के विरुद्ध अच्छाई की लड़ाई के नाम पर जब भी कोई नया युद्ध छिड़ता है तो उसमें जो मारे जाते हैं, वे सभी ग़रीब होते हैं I और हमेशा यही कहानी दुहराई जाती है, बार-बार, बार-बार ।
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इतिहास दरअसल कभी भी अलविदा नहीं कहता I इतिहास कहता है,'फिर मिलेंगे ।'
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अगर अतीत को वर्तमान से कुछ भी नहीं कहना रहता, तो इतिहास उस अलमारी में चैन की नींद सोने के लिए चला जाता जिसमें व्यवस्था अपने भेस बदलने वाले कपड़े रखती है ।
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राजनीति जब कवि का ध्यान खींचती है, तो वह कविता से कहता है कि वह अपने को धातु या आटे की तरह उपयोगी बनाए, कि वह अपने चेहरे को कोयले की गर्द से मैला करने और आमने-सामने की लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हो जाए।
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उन जहाज़ियों के लिए जो हवाओं से प्यार करते हैं, स्मृति प्रस्थान करने के लिए एक अच्छा बंदरगाह होती है ।
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विकास असमानता का विकास करता है ।
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बहुत सारे छोटे-छोटे लोग, छोटी-छोटी जगहों पर, छोटी-छोटी चीज़ें करते हुए, यह दुनिया बदल सकते हैं !
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सिर के बल खड़ी यह दुनिया हमें सिखाती है कि यथार्थ को बदलना नहीं बल्कि भुगतना चाहिए, अतीत को सुनने की जगह भूल जाना चाहिए और भविष्य की कल्पना नहीं करना चाहिए, बल्कि उसे स्वीकार करना चाहिए I स्कूल में नपुंसकता, स्मृतिभ्रंश और निवृत्ति की कक्षाएँ अनिवार्य होती हैं ।
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सहस्त्राब्दी के अंत की नैतिक संहिता अन्याय को नहीं बल्कि असफलता को दण्डनीय घोषित करती है ।
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"यहाँ",एक गन्ना मज़दूर ने मुझसे कहा, " लोग शहीदों को बहुत प्यार करते हैं -- लेकिन सिर्फ़ तब, जब वे मर जाते हैं I उसके पहले सिर्फ़ शिकायतें, और कुछ नहीं ।"
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हमारी संस्कृति डिब्बे की संस्कृति है I शादी का अनुबंध-पत्र प्यार से अधिक मायने रखता है, अंतिम संस्कार मृतक से अधिक मायने रखता है, कपड़े शरीर से अधिक मायने रखते हैं और धार्मिक अनुष्ठान ईश्वर से अधिक मायने रखता है ।
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आखिरकार, हम वही होते हैं जो हम उसको बदलने के लिए करते हैं जो हम होते हैं ।
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प्लास्टिक और शोर से भरी इस दुनिया में मैं कीचड़ से सना हुआ और चुप रहना चाहता हूँ ।
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विश्वास करने वाली निश्चितताएँ सिर्फ़ वे हैं जो हर सुबह नाश्ते में संदेह खाती हैं ।
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उम्मीद है कि हमारे भीतर अकेले होने का साहस है, और साथ होने का जोखिम लेने का साहस है ।
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जो आवश्यकता के बन्दी नहीं हैं, वे भय के बन्दी हैं : कुछ लोग उन चीज़ों को पा लेने की चिंता में नहीं सो पाते जो उनके पास नहीं हैं, और कुछ दूसरे उन चीजों को खो देने की चिंता में नहीं सो पाते जो उनके पास हैं ।
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ऑटोमोबाइल, टेलीविज़न, वीडियो रिकॉर्डर, पर्सनल कंप्यूटर, सेल फ़ोन और ख़ुशी के दूसरे तमाम पासवर्ड, मशीनें जिनका वक़्त हासिल करने या वक़्त बिताने के लिए जन्म हुआ है, उन्होंने वक़्त पर क़ब्ज़ा जमा लिया है।
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अगर मैं गिर जाता हूँ तो इसलिए कि मैं चल रहा था I और चलना महत्वपूर्ण है, हालाँकि तुम गिरते भी हो।
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स्वतंत्र वे हैं जो सोचते हैं, वे नहीं जो आज्ञापालन करते हैं I शिक्षा देने का मतलब है संदेह करने की शिक्षा देना।
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गूँगा नहीं होने के लिये तुम्हें बहरा नहीं होने से शुरुआत करनी पड़ेगी !
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यथार्थ एक जादुई स्त्री है, जो कभी-कभी बहुत रहस्यमय लगती है। मुझसे वह गहरा लगाव रखती है। वह सिर्फ़ तभी वास्तविक नहीं होती है, जब सड़कों पर घूमती-टहलती होती है, बल्कि रात में भी होती है जब वह सपने देख रही होती है या उसे दुस्वप्न सता रहे होते हैं। जब मैं लिख रहा होता हूँ तो हमेशा उसे शुक्रिया अदा कर रहा होता हूँ -- उस महिला को जिसका नाम यथार्थ है।
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हर बार जब बुरे के ख़िलाफ़ अच्छे की लड़ाई के नाम पर जब कोई नया युद्ध शुरू होता है, तो उसमें जो मारे जाते हैं वे सभी गरीब लोग होते हैं । हमेशा वही कहानी होती है जो बार-बार, बार-बार, दुहराई जाती है।
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सुसंस्कृत वह नहीं है जिसने ढेरों किताबें पढ़ रखी हैं। सुसंस्कृत वह है जो दूसरों को सुनने में सक्षम है।
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पुलिस के लिए किताबों पर प्रतिबन्ध लगाना ग़ैरज़रूरी हो गया है : उनकी क़ीमतें ही उन्हें प्रतिबंधित कर देती हैं।
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एक बार एदुआर्दो गालेआनो ने अपने एक दोस्त को मज़ाकिया ढंग से यह सुझाव दिया था कि "जादुई मार्क्सवाद" की एक ऐसी विधा ईजाद की जानी चाहिए जिसमें "आधा तर्कणा हो, आधा भावावेग हो और तीसरा आधा रहस्य हो (“one half reason, one half passion, and a third half mystery.”) !
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बहुत सारे छोटे-छोटे लोग, छोटी-छोटी जगहों पर, छोटी-छोटी चीज़ें करते हुए, यह दुनिया बदल सकते हैं !
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सिर के बल खड़ी यह दुनिया हमें सिखाती है कि यथार्थ को बदलना नहीं बल्कि भुगतना चाहिए, अतीत को सुनने की जगह भूल जाना चाहिए और भविष्य की कल्पना नहीं करना चाहिए, बल्कि उसे स्वीकार करना चाहिए I स्कूल में नपुंसकता, स्मृतिभ्रंश और निवृत्ति की कक्षाएँ अनिवार्य होती हैं ।
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सहस्त्राब्दी के अंत की नैतिक संहिता अन्याय को नहीं बल्कि असफलता को दण्डनीय घोषित करती है ।
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"यहाँ",एक गन्ना मज़दूर ने मुझसे कहा, " लोग शहीदों को बहुत प्यार करते हैं -- लेकिन सिर्फ़ तब, जब वे मर जाते हैं I उसके पहले सिर्फ़ शिकायतें, और कुछ नहीं ।"
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हमारी संस्कृति डिब्बे की संस्कृति है I शादी का अनुबंध-पत्र प्यार से अधिक मायने रखता है, अंतिम संस्कार मृतक से अधिक मायने रखता है, कपड़े शरीर से अधिक मायने रखते हैं और धार्मिक अनुष्ठान ईश्वर से अधिक मायने रखता है ।
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आखिरकार, हम वही होते हैं जो हम उसको बदलने के लिए करते हैं जो हम होते हैं ।
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प्लास्टिक और शोर से भरी इस दुनिया में मैं कीचड़ से सना हुआ और चुप रहना चाहता हूँ ।
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विश्वास करने वाली निश्चितताएँ सिर्फ़ वे हैं जो हर सुबह नाश्ते में संदेह खाती हैं ।
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उम्मीद है कि हमारे भीतर अकेले होने का साहस है, और साथ होने का जोखिम लेने का साहस है ।
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जो आवश्यकता के बन्दी नहीं हैं, वे भय के बन्दी हैं : कुछ लोग उन चीज़ों को पा लेने की चिंता में नहीं सो पाते जो उनके पास नहीं हैं, और कुछ दूसरे उन चीजों को खो देने की चिंता में नहीं सो पाते जो उनके पास हैं ।
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ऑटोमोबाइल, टेलीविज़न, वीडियो रिकॉर्डर, पर्सनल कंप्यूटर, सेल फ़ोन और ख़ुशी के दूसरे तमाम पासवर्ड, मशीनें जिनका वक़्त हासिल करने या वक़्त बिताने के लिए जन्म हुआ है, उन्होंने वक़्त पर क़ब्ज़ा जमा लिया है।
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अगर मैं गिर जाता हूँ तो इसलिए कि मैं चल रहा था I और चलना महत्वपूर्ण है, हालाँकि तुम गिरते भी हो।
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स्वतंत्र वे हैं जो सोचते हैं, वे नहीं जो आज्ञापालन करते हैं I शिक्षा देने का मतलब है संदेह करने की शिक्षा देना।
गूँगा नहीं होने के लिये तुम्हें बहरा नहीं होने से शुरुआत करनी पड़ेगी !
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यथार्थ एक जादुई स्त्री है, जो कभी-कभी बहुत रहस्यमय लगती है। मुझसे वह गहरा लगाव रखती है। वह सिर्फ़ तभी वास्तविक नहीं होती है, जब सड़कों पर घूमती-टहलती होती है, बल्कि रात में भी होती है जब वह सपने देख रही होती है या उसे दुस्वप्न सता रहे होते हैं। जब मैं लिख रहा होता हूँ तो हमेशा उसे शुक्रिया अदा कर रहा होता हूँ -- उस महिला को जिसका नाम यथार्थ है।
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हर बार जब बुरे के ख़िलाफ़ अच्छे की लड़ाई के नाम पर जब कोई नया युद्ध शुरू होता है, तो उसमें जो मारे जाते हैं वे सभी गरीब लोग होते हैं । हमेशा वही कहानी होती है जो बार-बार, बार-बार, दुहराई जाती है।
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सुसंस्कृत वह नहीं है जिसने ढेरों किताबें पढ़ रखी हैं। सुसंस्कृत वह है जो दूसरों को सुनने में सक्षम है।
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पुलिस के लिए किताबों पर प्रतिबन्ध लगाना ग़ैरज़रूरी हो गया है : उनकी क़ीमतें ही उन्हें प्रतिबंधित कर देती हैं।
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एक बार एदुआर्दो गालेआनो ने अपने एक दोस्त को मज़ाकिया ढंग से यह सुझाव दिया था कि "जादुई मार्क्सवाद" की एक ऐसी विधा ईजाद की जानी चाहिए जिसमें "आधा तर्कणा हो, आधा भावावेग हो और तीसरा आधा रहस्य हो (“one half reason, one half passion, and a third half mystery.”) !
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