Monday, January 28, 2019


अन्यायी जूतों
के नीचे
कमज़ोरों का
दाना देखा

जय हिंद जय हिंद
थाने भर में
हत्यारों का
गाना देखा

मंत्री थाने में
बैठा है
सत्यमेव
अफ़साना देखा

तंत्र बहुत था
न्याय नहीं था
अन्यायी मन-
माना देखा

खद्दर औ’
ख़ाकी से होकर
लोकतंत्र का
जाना देखा

रोती स्त्री
और रो पड़ी
जनगणमन बे-
गाना देखा

◆ देवी प्रसाद मिश्र

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