अन्यायी जूतों
के नीचे
कमज़ोरों का
दाना देखा
जय हिंद जय हिंद
थाने भर में
हत्यारों का
गाना देखा
मंत्री थाने में
बैठा है
सत्यमेव
अफ़साना देखा
तंत्र बहुत था
न्याय नहीं था
अन्यायी मन-
माना देखा
खद्दर औ’
ख़ाकी से होकर
लोकतंत्र का
जाना देखा
रोती स्त्री
और रो पड़ी
जनगणमन बे-
गाना देखा
◆ देवी प्रसाद मिश्र
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