वक़्त एक हज्जाम है
जो उनकी खूब हजामत बनाता है
जो नियमित रूप से खुद अपनी हजामत नहीं बनाते I
मैं तो अपने केश खुद काटती हूँ I
ऐसे ही नहीं,
पूरी ट्रेनिंग ली है I
दूसरों की भी हजामत बनाती हूँ I
वक़्त की मुलाज़िम नहीं
( उससे तो अपनी अदावत है पुरानी )
फिर भी उसका यह काम कर देती हूँ
अपने तरीके से
कभी-कभार
वक़्त-बेवक़्त !
(17 जनवरी, 2019)
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