
अगर खुद हमारे भीतर कमियाँ नहीं होतीं, तो दूसरे की कमियाँ निकालने में हमें इतना मज़ा नहीं आता I
(सूक्तियाँ, 31)
****
पाखण्ड दुराचार द्वारा सदाचार को दी जाने वाली श्रद्धांजलि होती है I
****
सबसे अधिक चालाकी का काम है अपनी चालाकी छुपा लेने की कुशलता !
****
हम अपनी छोटी गलतियों को सिर्फ़ इसलिए स्वीकार कर लेते हैं ताकि लोगों को यक़ीन दिला सकें कि हमने कोई बड़ी गलती नहीं की है I
****
सद्गुण लंबा सफ़र तय करता अगर अहम्मन्यता का साथ न होता !
****
हमारे सद्गुण अक्सर, वास्तव में, भेस बदले हुए दुर्गुणों से बेहतर नहीं होते !
****
ईर्ष्या में प्यार से अधिक आत्म-प्यार होता है !
No comments:
Post a Comment