देर रात के राग
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डायरी के नोट्स : जो सोचती हूं उनमें से कुछ ही कहने की हिम्मत है और क्षमता भी
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मेरी कविताई: जीवन की धुनाई, विचारों की कताई, सपनों की बुनाई
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जीवनदृष्टि-इतिहासबोध
Thursday, November 01, 2018
"इतिहास ? उसका तो अंत हो गया !"
-- फ्रांसिस फुकुयामा (1992)
"ओत्तेरी ! ये तो फिर वापस आ गया !!"
-- फ्रांसिस फुकुयामा (2018)
(19अक्टूबर,2018)
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