Monday, July 23, 2018

गाय के नाम पर...



गाय के नाम पर होते हुई दर्ज़नों हत्याओं की कड़ी में एक और जघन्य हत्या ! अलवर में गाय लेकर जा रहे सात बच्चों के पिता अकबर को गो-गुंडों के फासिस्ट आतंकवादी गिरोह ने सरेआम बर्बरतापूर्वक मार डाला ! सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का कोई मतलब नहीं है I यह फासिस्ट राज है जो दिन प्रति दिन अपने नग्नतम रूप में सामने आता जा रहा है I अभी दो दिन पहले ही हमने भीड़ की हिंसा के फासिस्ट चरित्र पर पोस्ट डाली है I यदि आप देश और जनता से सरोकार रखते हैं तो उसे ज़रूर पढ़ें और सोचें I
इससमय दुनिया में कई देशों में फासिस्ट या अर्ध-फासिस्ट ताक़तों की हुकूमत है, जैसे तुर्की में एर्दोगान की, फिलीप्पींस में दुआर्ते की, उक्रेन में पेत्रो पोरोशेन्को की, पर इनकी मोदी सरकार के संघी फासिज्म से कोई तुलना नहीं है I हिन्दुत्ववादी फासिज्म इससमय दुनिया का सबसे अधिक संगठित फासिज्म है और दुनिया के दूसरे सबसे अधिक आबादी वाले देश में करोड़ों धार्मिक अल्पसंख्यकों, शोषित मेहनतकशों और अन्य उत्पीड़ित आबादियों को अपने हमलों का निशाना बना रहा है I भारत नवउदारवादी आर्थिक नीतियों की सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण प्रयोगस्थली है I तृणमूल-स्तर से संगठित एक धुर-प्रतिक्रियावादी आन्दोलन के रूप में फासिज्म के सत्तारूढ़ होने के चलते यहाँ नवउदारवादी आर्थिक नीतियाँ अधिक प्रभावी ढंग से लागू हो सकती हैं, बनिस्पत उन लैटिन अमेरिकी देशों के, जहाँ अमेरिका-समर्थित ऐसी निरंकुश सत्ताएँ क़ायम हैं, जिनका सामाजिक आधार बहुत कमजोर है I भारत में नव-उदारवादी नीतियों की गाड़ी सरपट दौड़ती रहे, यह साम्राज्यवादी और देशी पूँजीपति हर क़ीमत पर चाहेंगे, चाहे इसके लिए पूरे देश को खून का दलदल ही क्यों न बना देना पड़े I सडकों पर भीड़ की हिंसा और हत्याओं का नंग-नाच संघियों के वृहत्तर फासिस्ट प्रोजेक्ट का ही एक हिस्सा है I
कठिन और चुनौतीपूर्ण चाहे जितना हो, लेकिन याद रखिए इस फासिस्ट हमले को नाकाम और नेस्तनाबूद तभी किया जा सकता है जब फासिस्टों के विरुद्ध आर-पार की लड़ाई को फासिज्म-विरोधी निर्णायक क्रांतिकारी संघर्ष की रणनीति के तहत संगठित किया जाये I
(21जुलाई,2018)

No comments:

Post a Comment