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Tuesday, May 08, 2018
बहुरंगी वनस्पतियों तक...
बहुरंगी वनस्पतियों तक...
नहीं करनी है खुशियों की निष्क्रिय प्रतीक्षा,
बर्फ़ ढँकी वादियों को पारकर
पहुँचना है
बहुरंगी वनस्पतियों की घाटी तक शीत से बसंत तक की
यात्रा करते हुए
और उनके रंगों और गंधों को
पीठ पर लाद लाना है
जीवन के धूसर उदास प्रदेश तक !
--कविता कृष्णपल्लवी
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