Saturday, December 09, 2017

 

लिबरल लोग संघर्ष की पैरवी कर ही नहीं सकते क्योंकि वे संघर्ष से डरते हैं. प्रतिक्रिया के तीव्र होने पर वे संविधान का रोना रोने लगते हैं, और इसप्रकार अपने तीव्र अवसरवाद से वे लोगों का दिमाग भ्रष्ट करने का काम करते हैं. 
...जब किसी लिबरल को गाली दी जाती है तो वह कहता है कि शुक्र है कि उन्होंने उसे पीटा नहीं, जब उसकी पिटाई होती है तो वह खुदा का शुक्रिया अदा करता है कि उन्होंने उसकी जान नहीं ली. अगर उसकी जान चली जाए तो वह ईश्वर को धन्यवाद देगा कि उसकी अनश्वर आत्मा को उसके नश्वर शरीर से मुक्ति मिल गयी.
--- व्ला. इ. लेनिन

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