''सच है, क़ानून बुर्जुआ वर्ग के लिए पावन-पवित्र होता है, क्योंकि यह उसी की रचना होता है और उसी की सम्मति से, और उसी के फ़ायदे तथा उसी के हिफ़ाजत के लिए, लागू होता है। वह जानता है कि, यदि कोई एक क़ानून उसे नुकसान पहुँचाये, तो भी पूरा ताना बाना उसके हितों की हिफ़ाजत करता है... समाज के एक हिस्से की सक्रिय इच्छाशक्ति, और दूसरे हिस्से की निष्क्रिय स्वीकृति द्वारा स्थापित क़ानून की अलंघ्यता और व्यवस्था की पवित्रता, उसकी सामाजिक स्थिति का सबसे मजबूत सहारा होती है।''
- फ्रेडरिक एंगेल्स ('इंगलैण्ड में मज़दूर वर्ग की दशा' अंग्रेजी में, पेंगुइन क्लासिक्स, पृ-235)
बेहतर लेखन !!!
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