-देनी दिदरो (प्रबोधन काल के महान फ्रांसीसी दार्शनिक)
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''धर्म द्वारा पागल बनाये गये लोग सबसे ख़तरनाक़ पागल होते हैं और .... जिन लोगों का मक़सद समाज में विघटन पैदा करना होता है, वे हमेशा समझते हैं कि मौक़ा पड़ने पर ऐसे पागलों का असरदार इस्तेमाल किस तरह किया जाता हैा''
-देनी दिदरो (प्रबोधन काल के महान फ्रांसीसी दार्शनिक)
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''धर्म द्वारा पागल बनाये गये लोग सबसे ख़तरनाक़ पागल होते हैं और .... जिन लोगों का मक़सद समाज में विघटन पैदा करना होता है, वे हमेशा समझते हैं कि मौक़ा पड़ने पर ऐसे पागलों का असरदार इस्तेमाल किस तरह किया जाता हैा''
-देनी दिदरो (प्रबोधन काल के महान फ्रांसीसी दार्शनिक)
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''अपनी राजनीतिक समस्याओं का हल धर्मों में खोजना भारी ग़लती है। धार्मिक विचारों के लिए स्वतंत्रता भले ही रहे, लेकिन राजनीति में धर्म का दख़ल बहुत ही हानिकारक बात है।''
-महापण्डित राहुल सांकृत्यायन
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''असल बात तो यह है कि मजहब तो है सिखाता आपस में बैर रखना। भाई को है सिखाता भाई का खून पीना। हिन्दुस्तानियों की एकता मजहब के मेल पर नहीं होगी, बल्कि मजहबों की चिता पर होगी। कौवे को धोकर हंस नहीं बनाया जा सकता। कमली को धोकर रंग नहीं चढ़ाया जा सकता। मजहबों की बीमारी स्वाभाविक है। उसकी मौत को छोड़ कर इलाज नहीं।''
-महापण्डित राहुल सांकृत्यायन
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''लोगों को परस्पर लड़ने से रोकने के लिए वर्ग-चेतना की ज़रूरत है। ग़रीब मेहनतक़श व किसानों को स्पष्ट समझा देना चाहिए कि तुम्हारे असली दुश्मन पूँजीपति हैं, इसलिए तम्हें इनके हथकण्डों से बचकर रहना चाहिए और इनके हत्थे चढ़ कुछ न करना चाहिए। संसार के सभी ग़रीबों के, चाहे वे किसी भी जाति, रंग, धर्म या राष्ट्र के हों, अधिकार एक ही है। तुम्हारी भलाई इसी में है कि तुम धर्म, रंग, नस्ल और राष्ट्रीयता व देश के भेदभाव मिटाकर एकजुट हो जाओं और सरकार की ताक़त अपने हाथ में लेने का यत्न करों।''
-शहीद भगतसिंह
''लोगों को परस्पर लड़ने से रोकने के लिए वर्ग-चेतना की ज़रूरत है। ग़रीब मेहनतक़श व किसानों को स्पष्ट समझा देना चाहिए कि तुम्हारे असली दुश्मन पूँजीपति हैं, इसलिए तम्हें इनके हथकण्डों से बचकर रहना चाहिए और इनके हत्थे चढ़ कुछ न करना चाहिए। संसार के सभी ग़रीबों के, चाहे वे किसी भी जाति, रंग, धर्म या राष्ट्र के हों, अधिकार एक ही है। तुम्हारी भलाई इसी में है कि तुम धर्म, रंग, नस्ल और राष्ट्रीयता व देश के भेदभाव मिटाकर एकजुट हो जाओं और सरकार की ताक़त अपने हाथ में लेने का यत्न करों।''
-शहीद भगतसिंह
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''हमारे देश में धर्म के नाम पर कुछ इने-गिने आदमी अपने हीन स्वार्थों की सिद्धि के लिए लोगों को लड़ाते-भिड़ाते हैं। धर्म और ईमान के नाम पर किये जाने वाले इस भीषण व्यापार को रोकने के लिए साहस और दृढ़ता के साथ उद्योग होना चाहिए।''
-- गणेश शंकर विद्यार्थी
''हमारे देश में धर्म के नाम पर कुछ इने-गिने आदमी अपने हीन स्वार्थों की सिद्धि के लिए लोगों को लड़ाते-भिड़ाते हैं। धर्म और ईमान के नाम पर किये जाने वाले इस भीषण व्यापार को रोकने के लिए साहस और दृढ़ता के साथ उद्योग होना चाहिए।''
-- गणेश शंकर विद्यार्थी
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दुनिया में कोई भी शाश्वत और अपरिवर्तनीय नैतिक नियम या धार्मिक सत्य नहीं है। ये दोनों तो इसी समाज की ठोस रचनाएँँ हैं। धर्म की राजनीति करने वाली कुटिल ताकतों को विवश होकर अपने पाँँव समेटने ही होंगे।
-साम्प्रदायिक जुनून का मुक़ाबला करते हुए शहीद होने वाले क्रान्तिकारी पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी
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