Sunday, October 06, 2019

राष्ट्रपिता बनने की तानाशाह की चाहत के बारे में



बहुत सारी चमत्कारी और रिकॉर्डतोड़ सफलताओं

और उपलब्धियों के बाद,

तानाशाह अब पूरे देश का बाप बनना चाहता था

और राष्ट्रपिता कहलाना चाहता था I

यह लोगों से उसका प्रतिशोध था क्योंकि

वह जानता था कि बहुत लोग उसके बारे में कहते हैं कि

'देश जैसे इसके बाप का है !'

समस्या यह थी कि जिनकी थैली की ताक़त ने

जनतंत्र को तमाशा और उसको तानाशाह बनाया था

वे लोग तो खुद ही अपने को सभी राजनीतिज्ञों का बाप समझते थे

जिनमें तानाशाह भी शामिल था !

और जो आम लोग थे वे सोचते थे कि यह तो

सूअर को बाप बनाने से भी बदतर होगा !

लेकिन जितने भी सड़क के गुण्डे, लफंगे, गंजेड़ी, लम्पट,

जेबकतरे, रहजन, बटमार, ठग, चोर, डाकू,

तड़ीपार, हत्यारे, बलात्कारी और दंगाई-बलवाई थे

वे सभी तानाशाह पर अपार श्रद्धा रखते थे,

यानी वे सभी जिनके पास बुद्धि बस नाम की होती थी, जो तर्क और मनुष्यता

और लोकतंत्र और सेकुलरिज्म जैसी चीज़ों से रोम-रोम से

घृणा करते थे और जो ताक़त के आगे श्रद्धापूर्वक

साष्टांग हो जाते थे, वे सभी तानाशाह को अपना पिता मानते थे !

तानाशाह के लिए यह बहुत क्लेश की बात थी कि

आम नागरिक उसे पिता मानने को तैयार नहीं थे I

उसके भीतर पूरी जनता के प्रति जो प्रतिशोध की आग

धधकती रहती थी वह तमाम अत्याचार करने के बावजूद

शांत नहीं हो पाती थी और वह सोचता था कि वह पूरे देश को ऐसे

गुंडों, दंगाइयों, हत्यारों और तमाम किस्म के बदमाशों से भर देगा

जिनके लिए वह पितातुल्य है,

और पूरे देश के आम लोगों को तबाह कर देगा

जो उसकी भक्ति नहीं करते !

समस्या यह थी कि यह असंभव था !

इतिहास में पहले भी जब किसी तानाशाह ने ऐसा सोचा

तो तबाह होते आम लोगों ने एक दिन अपनी तबाही के बारे में

फैसलाकुन ढंग से सोचा

और तानाशाह को ही तबाह कर दिया उसके तमाम

लाव-लश्कर के साथ और उसके लग्गू-भग्गुओं के साथ !

(26 सितम्‍बर, 2019)

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