हमारे समय के बड़े कवियों ने
श्रम से साधा है
कला को कविता में,
अलौकिक रहस्यमय आभा दी है उसे,
अद्भुत हुनरमंदी से
तराशा है उसे
जनता के दुखों को
कलात्मक-चमकदार बनाते हुए
भाषा से जादू रच डाला है
इसतरह कि सत्ताधारियों को भी
कविताएं पसंद आने लगी हैं।
श्रम से साधा है
कला को कविता में,
अलौकिक रहस्यमय आभा दी है उसे,
अद्भुत हुनरमंदी से
तराशा है उसे
जनता के दुखों को
कलात्मक-चमकदार बनाते हुए
भाषा से जादू रच डाला है
इसतरह कि सत्ताधारियों को भी
कविताएं पसंद आने लगी हैं।
बहुत कुछ किया और पाया है
हमारे समय के बड़े कवियों ने,
बस खो दिया है
अपना ईमान।
-- कविता कृष्णपल्लवी
हमारे समय के बड़े कवियों ने,
बस खो दिया है
अपना ईमान।
-- कविता कृष्णपल्लवी
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