देर रात के राग
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Sunday, December 17, 2017
... लेकिन मलिन वर्षों की बात है, दूरस्थ मनुष्य का रक्त
झाग पर फिर गरजता है, लहरों में लगाता है हमपर दाग़,
चाँद बिखेरता होता है चाँदनी : वे हमारे हैं,
हमारे ही हैं वे दूरस्थ दर्द
और ध्वस्तों का प्रतिरोध
मेरी आत्मा का ठोस हिस्सा है I
--- पाब्लो नेरूदा
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