देर रात के राग
Pages
मुखपृष्ठ
डायरी के नोट्स : जो सोचती हूं उनमें से कुछ ही कहने की हिम्मत है और क्षमता भी
कला-दीर्घा
कन्सर्ट
मेरी कविताई: जीवन की धुनाई, विचारों की कताई, सपनों की बुनाई
मेरे प्रिय उद्धरण और कृति-अंश : कुतुबनुमा से दिशा दिखाते, राह बताते शब्द
मेरी प्रिय कविताएं: क्षितिज पर जलती मशालें दण्डद्वीप से दिखती हुई
देश-काल-समाज: वाद-विवाद-संवाद
विविधा: इधर-उधर से कुछ ज़़रूरी सामग्री
जीवनदृष्टि-इतिहासबोध
Thursday, May 18, 2017
चुप्पियों की समझ
चुप्पियों की समझ
इस विवेकहीन मानवद्रोही शोर को
समझने के लिए हमारे समय की
मानवीय चुप्पियों को समझना होगा
चिंतनशील चुप्पियों को,
निरुपाय चुप्पियों को,
कर्मरत चुप्पियों को
और चालाक चुप्पियों को |
-- कविता कृष्णपल्लवी
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment