Saturday, February 13, 2016

महानता की अड़चनें, सोदाहरण




महान घटनाएँ
जो घट चुकी थीं
उदाहरण बनीं।

स्मृतियों में बनी रहतीं
चुपचाप, बेहतर होता,
घसीटकर नहीं लायी जातीं
उदाहरण के तौर पर
पाठशालाओं में।

जो भी उदाहरण दिये जाते रहे
घट रही और सम्भावित
क्रियाओं-घटनाओं के,
वे अतीत में घटित हुए थे।

महानतम अतीत के साँचे में भी
अँट नहीं पाता भविष्य।
दुर्दान्तम महानता भी नहीं होती
पूरी तरह अनुकरणीय।
अधिनायक होता है प्रतापी पिता।

सोदाहरण नहीं समझा जा सकता पूरी तरह
नवागत को।
भविष्य की महानता
निरन्तरता के साथ ही
निषेध भी होती है किसी हद तक
अतीत की महानता का।

महानता की विराट छतरी के
सीमान्तों के बाहर है
शैशव के लिए ज़रूरी

हवा-पानी-धूप।
नये को समझाते समय
उदाहरण पूछा जाये
तो उत्तर होना चाहिए: ''भविष्य ।''

अतीत की महानता से
माँगकर लाना होता है
भविष्यद्रष्टा तर्क
और अक्सर हम माँग लाते हैं
उसकी उतरन
उदाहरण या मानक के रूप में।

अब हम कहेंगे
एक तर्कसंगत बात
जिसका कोई उदाहरण नहीं होगा
और यदि होगा भी
तो उस किसी के पास
जो अभी पैदा नहीं हुआ।
-- शशि प्रकाश

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