7 नवम्बर
इस मुबारक दिन तुम्हें शुभकामनाएँ देता हूँ सोवियत संघ,
विनम्रता के साथ। मैं एक लेखक और कवि हूँ
मेरे पिता रेल मज़दूर थे। हम हमेशा ग़रीब रहे।
कल मैं तुम्हारे साथ था, बहुत दूर भारी बारिशों वाले अपने
छोटे से देश में। वहाँ तुम्हारा नाम लोगों के दिलों में जलते-जलते
सुर्ख हो गया
जबतक वह मेरे देश के ऊँचे आकाश को छूने नहीं लगा।
आज मैं तुम्हें याद करता हूँ, वे सब तुम्हारे साथ हैं।
फैक्ट्री दर फैक्ट्री, घर दर घर,
तुम्हारा नाम उड़ता है लाल चिड़िया की तरह।
तुम्हारे वीर यशस्वी हों और तुम्हारे खून की
हरेक बूँद। यशस्वी हो हृदयों की बह-बह निकलती बाढ़
जो तुम्हारे पवित्र और गौरवपूर्ण आवास की रक्षा करते हैं।
यशस्वी हो वह बहादुरी भरी और कड़ी रोटी,
जो तुम्हारा पोषण करती है जबकि वक्त के द्वार खुलते हैं।
ताकि जनता और लोहे की तुम्हारी फौज गाते हुए
राख और उजाड़ मैदानों के बीच से
हत्यारों के खिलाफ कर सके कूच ताकि
चाँद जितना विशाल एक गुलाब
रोप सके जीत की सुन्दर और पवित्र भूमि पर।
(1941 में लिखी गई लम्बी
कविता का एक अंश)
-- पाब्लो नेरूदा
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-- पाब्लो नेरूदा
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सोवियत संघ और स्तालिन के बारे में
सोवियत संघ, जो खून बहा
तुम्हारे संघर्षों में,
जो तुमने दिया एक माँ के रूप में इस दुनिया को
ताकि मरती हुई आज़ादी जिन्दा रह सके,
यदि हम इकट्ठा कर सकते वो सारा खून,
तो हमारे पास एक नया सागर होता
दूसरे किसी भी सागर से अधिक बड़ा
दूसरे किसी भी सागर से अधिक गहरा
तमाम नदियों की तरह स्पन्दित
और सक्रिय, अराउकेनियन ज्वालामुखियों की आग की तरह।
अपने हाथ डुबाओ इस सागर में,
हर देश के लोगो,
फिर बाहर निकाल लो और डुबो दो इसमें
वह सबकुछ जो भुला दिया गया है, जिसे लांछित किया गया है,
झुठलाया गया है और कलंकित किया गया है जिसे,
उन सबको, जो पश्चिमी घूरे के
सैकड़ों छोटे-छोटे कुत्तों में शामिल हो गये हैं
और जिन्होंने तुम्हारे रक्त को अपमानित किया है। जिन्होंने,
ओ मुक्त लोगों की माँ।
पश्चिम द्वारा ''संस्कृति की रक्षा'' के लिए भेजे गये
रैंगलों और देनिकिनों के खिलाफ था वह।
वहाँ अपने गुप्त शरण्यों से वंचित कर दिये गये थे वे लोग,
जल्लादों के वे प्रतिरक्षक, और पूरे सोवियत संघ की
दूर-दूर तक फैली धरती पर
स्तालिन ने काम किया दिन-रात।
लेकिन फिर पिघले सीसे की लहर के मानिन्द आये
जर्मन, जिन्हें चैम्बरलेन
ने बनाया था मोटा तन्दुरुस्त।
दूर तक विस्तारित सभी सीमान्तों पर स्तालिन ने मोर्चा लिया उनसे
हर हाल में, जब वे पीछे हट रहे थे, या चाहे आगे बढ़ रहे थे,
और जनगण के एक प्रचण्ड झंझावात की तरह सुदूर बर्लिन तक
पहुँचे उसके बेटे, लिये हुए रूस की व्यापक शान्ति।
प्राचीन क्रेमलिन के तीन कमरों में
जोसेफ स्तालिन नामक एक आदमी रहता है,
बत्तियाँ उसके कमरे की, देर रात गये बुझती हैं
दुनिया और उसका देश उसे आराम नहीं करने देते।
दूसरे वीर एक देश को अस्तित्व में लाये,
उससे आगे, उसने उसे सँजोया,
और उसका निर्माण किया
और उसकी हिफाजत की।
उसकी विशाल धरती, इसलिए, उसका हिस्सा है,
और वह आराम नहीं कर सकता
क्योंकि वह धरती आराम नहीं करती।
दूसरे वक्तों में बर्फ और बारूद ने पाया उसे
पुराने लुटेरों का मुक़ाबला करते हुए
जो फिर से जिन्दा करना चाहते थे
कोड़ा और दु:ख भूदासों का संताप,
करोड़ों विपन्नों की प्रसुप्त पीड़ा।
वहाँ मोलोतोव और वोरोशिलोव भी है,
मैं देखता हूँ उन्हें, दूसरे आला जनरलों के साथ,
दुर्दम्य हैं जो।
बर्फ से ढके शाह-बलूत के झुण्डों की तरह दृढ़।
महल नहीं है इनमें से किसी के पास।
किसी के भी पास नहीं हैं गुलामों की रेजिमेण्टें।
धनी नहीं बना इनमें से कोई भी युद्ध के जरिए
खून बेचकर।
इनमें से कोई भी मोर की तरह
रियो डि जेरेरियो या बगोटा की यात्रा नहीं करता
क्षुद्र क्षत्रपों और खून के धब्बों से सजे जालिमों को निर्देश देने के लिए।
उनमें से किसी के भी पास नहीं हैं दो सौ सूट,
हथियार कारखानों में किसी की भी हिस्सेदारी नहीं है
और उनमें से सभी की हिस्सेदारी है
आह्लाद में और उस विशाल देश के निर्माण में
जहाँ भोर की अनुगूँजों प्रतिध्वनित होती हैं
मौत की रात की उठती हुई।
उन्होंने दुनिया से कहा, ''कामरेड!''
उन्होंने बढ़ई को राजा बनाया।
इस सुई की आँख से कोई ऊँट नहीं गुजरेगा।
उन्होंने गाँवों की साफ-सफाई की,
ज़मीन का बँटवारा किया,
भूदास को ऊपर उठाया,
भिखमंगे को मुक्ति दी,
नृशंस का नाश किया।
गहरी रात में रोशनी लेकर आये वे...
(एक लम्बी कविता का
अंश)
-- पाब्लो नेरूदा
-- अनुवाद: सत्यम-- पाब्लो नेरूदा
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