Thursday, September 04, 2014

दुनिया




कोलम्बिया के सागर तट पर, नेगुआ शहर का एक आदमी आसमान में ऊपर चढ़ जाने में कामयाब हो गया।
वापस लौटने पर उसने अपनी यात्रा का वर्णन किया। उसने बताया कि ऊँचाई से कैसे उसने मानव जीवन का अवलोकन किया। उसने बताया कि हम छोटी-छोटी लपटों के सागर हैं।
उसने यह रहस्‍योदघाटन किया, ''यह दुनिया लोगों का एक ढेर है, छोटी-छोटी लपटों का सागर है।''
हर व्‍यक्ति अपनी खुद की रोशनी से चमकता है। कोई भी दो लपटें एकसमान नहीं होतीं। छोटी लपटें हैं और बड़ी लपटें हैं, हर रंग की लपटें हैं। कुछ लोगों की लपटें इतनी स्थिर हैं कि वे हवा में फड़फड़ाती तक नहीं, जबकि कुछ की उग्र लपटें हैं जो हवा को स्‍फुलिंगों से भर देती हैं। कुछ गावदी लपटें हैं जो न जलती हैं न रोशनी देती हैं, लेकिन कुछ दूसरी इतनी प्रचण्‍डता के साथ जिन्‍दगी से धधकती रहती हैं कि कोई बिना पलक झपकाये उनकी ओर देख नहीं सकता और अगर कोई उनके पास जाता है तो आग में चमकने लगता है।

-- एदुआर्दो गालिआनो

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