--कविता कृष्णपल्लवी
सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश ने अपील की है कि न्यायपालिका को बदनाम न किया जाये, इससे लोकतंत्र में जनता का भरोसा डगमगा जायेगा। उनकी सेवा में ससम्मान निवेदन करना चाहती हूँ कि न्यायपालिका पहले से ही इतनी बदनाम है कि उसे अब और बदनाम कर पाना मुमकिन ही नहीं। जहाँ तक लोकतंत्र की बात है, तो इसमें आम जनता का भरोसा पहले ही उठ चुका है। जो 60 से 70 प्रतिशत के बीच मतदाता वोट डालते हैं, वह भी ज्यादातर विकल्पहीनता का वोट होता है, भय से हासिल या तुच्छ प्रलोभन द्वारा खरीदा गया वोट होता है या फिर फर्जी वोट होता है।
कौन नहीं जानता कि निचली अदालतों में पुलिस थानों से भी अधिक भ्रष्टाचार है। कौन नहीं जानता कि सुप्रीम कोर्ट तक में भीषण भ्रष्टाचार व्याप्त है (काटजू साहब से भी पहले शांतिभूषण-प्रशांत भूषण कई प्रधान न्यायाधीशों तक पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा चुके हैं) और जजों की नियुक्तियाँ राजनीतिक हस्तक्षेप और दबावों से कभी मुक्त नहीं रही हैं। अब कालेजियम प्रणाली की जगह भाजपा सरकार जजों की नियुक्ति के लिए नयी व्यवस्था लाने जा रही है। संसद में बिल पेश हो चुका है। इससे कुछ भी बुनियादी बदलाव नहीं होगा। यह सम्भव ही नहीं है। न्यायपालिका में राजनीतिक हस्तक्षेप, राजनीतिक हस्तक्षेप के जरिए पूँजीपतियों का हितसाधन और भ्रष्टाचार का नंगनाच जारी रहेगा। न्याय बिकता रहेगा। बड़े और सफेदपोश चोर और अपराधी न्याय के जाल में कभी नहीं फँसेंगे। वे छोटे चोर और अपराधी ही सजा पायेंगे जो पूँजीवादी समाज के स्वयं शिकार हैं और अपराध और विमानवीकरण की दुनिया में धकेल दिये गये हैं।
किसी भी बुर्जुआ जनवादी समाज में न्याय शास्त्र और न्यायपालिका का मुख्य काम निजी स्वामित्व और अधिशेष निचोड़ने की व्यवस्था की हिफाजत करना होता है। न्यायपालिका सम्पत्तिशालियों के आपसी विवाद सुलझाती है, सम्पत्तिशालियों और सम्पत्तिहीनों के बीच के विवाद में सम्पत्तिशालियों का पक्ष लेती है, पूँजीवादी व्यवस्था के सुचारू संचालन के लिए विधायिका द्वारा निर्मित विधि-विधानों की व्याख्या करती है और उन्हें लागू करती है, पूँजीवादी समाज की स्वाभाविक गति से पैदा होने वाली अव्यवस्था को ठीक करती है, व्यवस्था के विरुद्ध विद्रोह करने वालों को दण्डित करती है और 'कानून की पवित्रता' के नाम पर शोषण-उत्पीड़न की व्यवस्था को स्वीकारने के लिए जनमानस को अनुकूलित करती रहती है। यह शासक वर्ग के वर्चस्व का एक प्रभावी उपकरण है। यह ऐसा पंच है, जिसका पक्ष पहले से ही तय है।
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