आने वाली पीढ़ियों से(ब्रेष्ट की पंक्तियों से प्रेरित)...
हम एक अँधेरे समय में जूझते रहेजब भेड़िये राग मल्हार गा रहे थे
पूँजी के खूनी पंजे एन.जी.ओ. का सफेद दस्ताना पहने
राहत बाँट रहे थे
और हत्यारों के सेवक
साहित्य, मीडिया और अकादमिक दुनिया में
वामपंथ की भाषा बोल रहे थे।
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