Monday, January 10, 2011

मध्‍यवर्गीय स्त्रियों के सरोकार

एक मध्‍यवर्ग की स्‍त्री मध्‍यवर्ग पहले होती है और स्‍त्री बाद में।

ग़ौर कीजियेगा, मध्‍यवर्गीय स्त्रियां घरेलू नौकरानियों, रिक्‍शेवालों, रेहड़ीवालों के साथ सबसे अधिक टुच्‍चेपन-लीचड़पन का व्‍यवहार करती हैं। काम करवानें में पाई-पाई सधाना, बासी खाना और फटे कपड़े देना, दमड़ी-दमड़ी का मोल-तोल करना और मौका हाथ लगने पर ठेले से दो टमाटर चुराकर झोले में डाल लेना - ये उनकी आम आदतें होती हैं। एक स्‍त्री के रूप में उनकी सहानुभूति न मेहनतकश स्‍त्री के साथ होती है, न ही एक उत्‍पीड़‍ित के रूप में अन्‍य उत्‍पीड़‍ितों के साथ।

बात यहीं नहीं रुकती। यही मध्‍यवर्ग की स्‍त्री यदि बौद्धिक होती है और पुरुषवर्चस्‍व के विरुद्ध आवाज़ उठाती है तो उसके एजेण्‍डे पर घरेलू ग़ुलामी और दोयम दर्जे़ की सामाजिक स्थिति के वे आम मुद्दे तो होते हैं जो उसके अपने ज्‍वलंत मुद्दे हैं, लेकिन मजदूर स्त्रियों के जीवन के ज्‍वलंत मुद्दे नहीं होते। यदि ये मुद्दे होते भी हैं तो रस्‍मी या फ़ौरी मुद्दे के तौर पर। स्‍त्री आंदोलन में मज़दूर स्त्रियों को पढ़ी-लिखी मध्‍यवर्गीय ''दीदी'' लोगों के पीछे चलने वाली भीड़ बना दिया जाता है। स्‍त्री आंदोलन पर मध्‍यवर्गीय वर्चस्‍व की यह समस्‍या एक गम्‍भीर समस्‍या है।

1 comment:

  1. उस मध्ययवर्गीय स्त्रिी की मुख्य समस्या फैशन की समस्या होती है

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