Tuesday, January 04, 2011


कानून की पवित्रता तभी तक बनाये रखी जा सकती है जब तक वह जनता के दिल यानी भावनाओं को प्रकट करता है। जब यह शोषणकारी समूह के हाथों का पुर्जा बन जाता है तो यह अपनी पवित्रता और महत्‍व खो बैठता है। ... ज्‍यों ही कानून सामाजिक आवश्‍यकताओं को पूरा करना बन्‍द कर देता है, त्‍यों ही ज़ुल्‍म और अन्‍याय को बढ़ाने वाला हथियार बन जाता है। ऐसे कानून को जारी रखना सामूहिक हितों पर विशेष हितों की दम्‍भपूर्ण ज़बरर्दस्‍ती के सिवा कुछ नहीं।

-भगतसिंह

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