Tuesday, April 20, 2021

मानवतावाद के अजीर्ण से पीड़ित आत्माएँ मुझे क्षमा करें !


मानवतावाद के अजीर्ण से पीड़ित आत्माएँ मुझे क्षमा करें ! मेरी तो पक्की राय है कि अगर सत्ता मेहनतकश जनता की हो, तो उसे उन तमाम धनपशुओं को चौराहों पर फाँसी दे देनी चाहिए या फायरिंग स्क्वाड के सामने खड़ा करके गोली से उड़ा देना चाहिए, जो अकाल और भुखमरी के समय अनाज की तथा किसी महामारी और संक्रामक बीमारी के घटाटोप के समय दवाओं की, आक्सीजन सिलिंडर आदि की जमाखोरी और कालाबाजारी करते हों या प्राइवेट नर्सिंग होम्स में लूट मचाते हों और ठगी करते हों । 

कोविड के विकट दुष्काल में हम एक ऐसी मानवीय पीड़ा-यंत्रणा को देख-भोग रहे हैं जो कभी नहीं भूल पायेंगे । जीवन रक्षक दवाओं के लिए, एम्बुलैंस के लिए, अस्पतालों में बेड्स के लिए, आक्सीजन सिलिंडर के लिए बदहवास भागते लोग, लगातार मरते लोग, श्मशानों में बारह-चौदह घण्टों तक अपने लोगों के पार्थिव शरीर लिए अंतिम संस्कार का इंतजार करते लोग ... ... ! पूरा सिस्टम कोलैप्स कर गया है । सरकार और प्रशासन एकान्तवास में चले गये हैं । इस समय हम मुनाफ़ाखोरों की आदमखोरी को प्रत्यक्ष देख और भोग रहे हैं । 

लेकिन आदमखोरो ! आम लोगों को इतना बेबस और अशक्त मत समझो । जगीरा, चिकारा, कनफटा और सिस्टम चलाने वाले शीर्ष के धनपशु तो अभी बहुत बाद में जनता के हत्थे चढ़ेंगे, लेकिन यह लूट, जमाखोरी और कालाबाजारी यूँ ही जारी रहेगी तो बगावत का लावा सड़कों पर उमड़ पड़ेगा, नौजवान सड़कों पर तुम्हें दौड़ाकर कूटेंगे, तुम्हारी महंगी गाड़ियों को लाठी-डंडों से भुरकुस कर देंगे, तुम्हारे घरों पर पेट्रोल बम फेंकेंगे और तुम लोगों को सड़कों पर गाड़ियों से बाहर खींचकर गले में जलता हुआ टायर पहना देंगे ! तुम्हारे हथियारबंद रक्षक सड़कों पर उमड़े जनसैलाब का कुछ नहीं उखाड़ पायेंगे । ऐसे किसी स्वयंस्फूर्त जन-विद्रोह पर जबतक सत्ता काबू पायेगी तबतक तुम लोगों को काफ़ी सबक मिल चुका रहेगा । इसीलिए यह सोच कर निर्भीक-निश्चिंत मत रहो कि क्रांति तो अभी एक दूरस्थ संभावना है तो ये "बेबस-कातर-निरीह" लोग हमारा क्या बिगाड़ लेंगे ! भूख से बेहाल, अभावों से चरम सीमा तक परेशान, बार-बार दर-बदर होने वाले और दवा-इलाज के अभाव में अपने सामने अपने स्वजनों को तिल-तिल कर मरते देखने वाले लोग अगर सड़कों पर उतर पड़े तो तुम्हारे चीथड़े उड़ जायेंगे । और यह समय कब आयेगा, इसका अंदाजा तुम्हें पहले से नहीं होगा । यह आयेगा तो अचानक सुनामी की तरह आयेगा । 

इसीलिए डरो हरामियो, सफ़ेदपोश डाकुओ, लाशों के सौदागरो, नरभक्षियो ! जिन्हें तुम एकदम बेबस-लाचार, भेड़ों का रेवड़ समझते हो, वे शांत दीखता ऐसा जीवित ज्वालामुखी हैं, जो कब फट पड़ेगा, यह तुम्हारे बाप लोग भी नहीं बता सकते ।

(20 Apr 2021)

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