Wednesday, June 03, 2020


पंडा जितनी गाली दे ले, जितने झूठे किस्से गढ़ ले, जितना चरित्र-हनन कर ले, जितने भी पुराने पतितों-भगोड़ों की गोलबंदी कर ले, मेरी मित्र-सूची के जितने भी लोगों को पूर्वाग्रहित करने-धमकाने की कोशिश कर ले, 'दरियागंज के दल्ले' वैशाली के उस छिछोरे कवि जैसे जितने भी निकृष्ट गिरोहबाजों को काम पर लगा दे, इससे हम अपनी ज़िम्मेदारी निभाना बंद नहीं करेंगे !

जैसा हमने पहले ही कहा है, उसके द्वारा मार्क्सवाद के विकृतीकरण का पर्दाफ़ाश करने वाली समालोचना-श्रृंखला जारी रहेगी ! जबतक व्यास-पाठ पर विराजमान पंडा अपने भयंकर "मार्क्सवादी ज्ञान" की सिद्ध-गुटिका बांचता रहेगा, हम उसकी अहम्मन्य मूर्खता का पोस्टमार्टम करते रहेंगे ! इसलिए नहीं कि पण्डे से हमें कोई हिसाब चुकता करना है, बल्कि इसलिए कि यह एक कम्युनिस्ट के नाते हमारा नैतिक-राजनैतिक कर्तव्य है कि हम इस बौने "बौद्धिक" विदूषक के बहकावे में आने से मार्क्सवाद का अध्ययन करने के इच्छुक युवाओं को बचा सकें ! किसी भी मार्क्सवादी की विचारधारात्मक प्रतिबद्धता सर्वोपरि होती है, बाकी सारी चीज़ें बाद में आती हैं !

हम बार-बार कह रहे हैं कि पण्डे द्वारा मार्क्सवाद के विकृतीकरण पर हम जो तथ्य और तर्क दे रहे हैं, उसपर, जो भी अपने को मार्क्सवादी कहते हैं उन्हें स्टैंड लेना ही चाहिए !

हम फिर से इस प्रस्ताव को दुहरा रहे हैं कि कुछ एक वेबनार करके या दिल्ली में खुले मंच पर बहस करके, उस पूरी बहस की वीडियो-रिकॉर्डिंग कर ली जाए, हम तैयार हैं !

एक अच्छी बात यह है कि इस पूरी बहस से हिन्दी के वाम बौद्धिक जगत की प्रतिबद्धता, दायित्व-बोध और समझ के स्टैण्डर्ड का भी इम्तहान हो जा रहा है !

बहरहाल, मार्क्सवाद के विकृतीकरण के विरुद्ध हमारी मुहिम हर हाल में जारी रहेगी !

(3जून, 2020)


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😆😆😆ऐ ल्लो ! पण्डे ने मुझे ब्लाक कर दिया !

खैर अपने किसी ख़ास की आई डी से वो भी मेरा लिखा और 'हंड्रेड फ्लावर्स मार्क्सिस्ट स्टडी ग्रुप' की टिप्पणियाँ पढ़ रहा है और मेरी भी उसकी वाल तक पहुँच है !
नहीं, मेरा यह स्टैण्डर्ड नहीं कि उसकी गाली-गलौज और कुत्सा-प्रचार भरी पोस्ट्स मैं बाँचती रहूँ ! मोटा-मोटी साथियों से पता चल ही जाता है ! मैं तो उसकी वाल पर जाकर उसकी पोस्ट लाइक करने वाले और कमेंट करने वाले लेखकों-कवियों की निशानदेही करती हूँ ताकि दिल्ली के बौद्धिक-साहित्यिक जगत के पतित अवसरवादी और छद्म-वामी रँगे सियारों की शिनाख्त कर सकूँ और लिजलिजे मध्यमार्गियों की भी पहचान पुख्ता कर सकूँ I यथासमय इन सबका बौद्धिक मान-मर्दन करना होगा I


खैर, ये काम तो होता रहेगा भइये ! ई बिलाक-विलाक करने से का होता है !

(3जून, 2020)


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