Friday, February 28, 2020


डरो मत !

निर्भीक प्रतिवाद करो ! साहसिक प्रतिरोध करो !

बर्बरता के विरुद्ध, फासिज्म के विरुद्ध खुलकर बोलो, लिखो और लड़ो !

चालाकी, धूर्तता और कमीनगी के साथ फासिस्टों के साथ हमबिस्तर होते रहने, उनसे पद-पीठ-पुरस्कार-वजीफ़ा लेते रहने और साथ ही वामपंथी बने रहने से बड़ी कमीनगी, कुत्तागीरी और हरामज़दगी और कुछ नहीं होगी !

ऐसे फासिस्ट समय में भी जो वामपंथी, जनवादी और प्रगतिशील बनते हैं और फासिस्टों से वजीफ़ा और ईनामो-इक़राम लेते हैं, झुककर उनके हाथ चूमते हैं, मैं तो बेहिचक उन्हें कमीना, केंचुआ, कुत्ता, गीदड़ -- सबकुछ कहती हूँ ! जो ऐसा कहने को बुरा मानते हैं उन्हें अतिउदारवादी बीमारी का शिकार लिबलिबा-लिसलिसा जंतु मानती हूँ !

मरने से इतना क्यूँ डरते हो ? ज़िंदगी भर अपने उसूलों से गद्दारी करके आराम से ज़िंदगी बसर करने के मुकाबले अपने उसूलों की खातिर चन्द मिनटों की तक़लीफ़ झेलकर मर जाना क्या एक बेहतर विकल्प नहीं है ?

(27फरवरी, 2020)


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जस्टिस मुरलीधरजी से निवेदन है कि:

(1) मॉर्निंग वाक पर कदापि न जाया करें ! घर पर ही कुछ कसरत-वसरत कर लिया करें !

(2) किसी भी रिश्तेदार के वहाँ शादी या किसी फंक्शन में न जाया करें !

(3) अपने सहकर्मियों के घर पार्टी में या किसी फंक्शन में या यूँ ही मिलने-जुलने न जाया करें !

(4) अकेले यात्रा कत्तई न किया करें ! शहर से बाहर हाईवे पर कार से न चला करें !

(5) कोई मुक़द्दमा अगर किसी नेता, मंत्री या सरकार से सम्बंधित हो तो बेहतर है, सुनवाई से इनकार कर दें ! अगर इनकार नहीं करेंगे तो तबादला, या फिर जान का खतरा ! जान है तो जहान है ! और समस्या यह भी तो है कि आप न खुलकर बोल सकते हैं, न सड़क पर उतर सकते हैं !

(6) इतने एहतियात बरतने के बावजूद, बेहतर होगा कि भारी रकम का जीवन बीमा करा लें और अपनी वसीयत तैयार करवा लें !

(7)सबसे अच्छा तो यही होगा कि अपने पुराने सड़े-गले, आउटडेटिड आदर्शवादी आदतों से ही छुटकारा पा लें और उसी पंथ पर चलें जिससे होकर जस्टिस दीपक मिश्रा, गोगोई, अरुण मिश्रा जैसे महाजन आगे गए हैं !


ॐ शान्ति शान्ति ...

(27फरवरी, 2020)

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