Saturday, September 08, 2018

रामू शिक्षक दिवस के मौके पर...


अच्छा रामू, शिक्षक दिवस के मौके पर चल यही बता दे, दिल्ली यूनिवर्सिटी या गुजरात यूनिवर्सिटी में तेरे को किस-किस शिक्षक ने पढ़ाया था ?🤔🤔🤔🤣😄😄😄

रामू के पहले कई आधे-अधूरे रामू हुए जो पूरा रामू बनाने का सपना देखते-देखते बूढ़े हो गए थे। रामू ने रामू बनने के बाद उन सभी को मार्गदर्शक घोषित कर मार्गदर्शक मंडल में बैठा दिया था। शिक्षक दिवस के दिन रामू अपने सभी गुरुओं को जाकर सादर प्रणाम करना चाहता था। पता चलते ही सभी मार्गदर्शक बदहवास अपने वृद्धाश्रम से भागे और जंगलों-पहाड़ों में जाकर छिप गए। सबको पता था, रामू को प्रणाम करना नहीं, रो-रोकर श्रद्धांजलियाँ देना अधिक पसंद था। और सबको यह भी पता था कि अस्थियाँ कम पड़ गयी थीं।

शिक्षक दिवस और गुरु पूर्णिमा के दिन रामू पब्लिक में वशिष्ठ, विश्वामित्र, वृहस्पति, द्रोणाचार्य, पतंजलि, बुद्ध, चाणक्य, शंकराचार्य, कबीर, तुलसी, गाँधी, गोलवलकर, पदीदउ, अटल आदि-आदि को अपना गुरु और प्रिय शिक्षक बताता है। फिर अपने भव्य भवन के पूजा-कक्ष के गर्भ-गृह में बैठकर वह हिटलर और मुसोलिनी की मूर्तियों के सामने कापालिकों की तरह तंत्र-साधना और अघोरियों की तरह शव-साधना करता है।
(5सितम्‍बर,2018)

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