Monday, December 18, 2017

सब्ज़ीफ़रोश

नुक्कड़ के सब्ज़ीफ़रोश की तराजू कोई शरारतन चुरा ले गया I कुछ सोचकर वह मोहल्ले में रहने वाले हिन्दी आलोचक के घर तराजू माँगने जा पहुँचा :"भाई साहब, आपसी मदद से यूँ ही काम चलता है I अब तराजू तो तराजू है, चाहे कददू तोलो या कविता ! "

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