यह पतनशील अराजकतावाद महानगरों के उन बहुतेरे "वामपंथी" बुद्धिजीवियों और लेखकों-कवियों-संस्कृतिकर्मियों में खूब देखने को मिलता है जो सरकारी दफ्तरों, मीडिया-प्रतिष्ठानों या किसी एन.जी.ओ.में चाकरी बजाने के बाद बचे-खुचे समय में वामपंथ की रीयल या वर्चुअल बगिया में भी थोड़ी सैर कर लिया करते हैं , थोड़ा जंतर-मंतर जाकर जनवादी अधिकार वगैरह कर आते हैं, या किसी संगोष्ठी में जाकर क्रांति करने में लापरवाही और गैरजिम्मेदारी दिखाने के लिए क्रांतिकारियों को धिक्कार,फटकार और लताड़ आते हैं |
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Wednesday, May 24, 2017
कुछ खाते-पीते "विद्रोही" बुद्धिजीवी गण.......
यह पतनशील अराजकतावाद महानगरों के उन बहुतेरे "वामपंथी" बुद्धिजीवियों और लेखकों-कवियों-संस्कृतिकर्मियों में खूब देखने को मिलता है जो सरकारी दफ्तरों, मीडिया-प्रतिष्ठानों या किसी एन.जी.ओ.में चाकरी बजाने के बाद बचे-खुचे समय में वामपंथ की रीयल या वर्चुअल बगिया में भी थोड़ी सैर कर लिया करते हैं , थोड़ा जंतर-मंतर जाकर जनवादी अधिकार वगैरह कर आते हैं, या किसी संगोष्ठी में जाकर क्रांति करने में लापरवाही और गैरजिम्मेदारी दिखाने के लिए क्रांतिकारियों को धिक्कार,फटकार और लताड़ आते हैं |
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