
ज़िन्दगी को अच्छी तरह जानने-समझने के लिए ज़िन्दगी की तमाम सरगर्मियों और जद्दोज़हद के बीच होना होता है। साथ ही कभी-कभी उससे दूर पहाड़ों-रेगिस्तानों-जंगलों में और समन्दर किनारे भी होना चाहिए। कभी-कभी काफी हाउसों और चिड़ियाखानों और अजायबघरों की भी सैर कर लेनी चाहिए। और कभी-कभी अकेलापन भी ज़रूरी होता है।
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