Monday, February 04, 2019


हम घृणित-कुत्सित विडंबनाओं के एक ऐसे युग में जी रहे हैं जब सरकार का सालाना खाता-बही का हिसाब बांचते हुए फासिस्टों का एक टेम्पररी मुनीम मुक्तिबोध की कविता की पंक्तियाँ सुनाता है और "प्रगतिशील" कवि-लेखक पटना लिट् फेस्ट में फासिस्टों के एक चतुर और उदार चेहरे वाले तथा अंग्रेजों के लिए मुखबिरी करने वाले नेता -- अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हैं !

(3फरवरी, 2019)

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