अरे भाई ! इसकी जोकरी, मूर्खता, झूठ, हल्केपन और फेंकूबाजी पर मत जाइए ! यह कुछ पूँजीपतियों पर कुछ ज्यादा मेहरबान ज़रूर है, पर यह समूचे पूँजीपति वर्ग का नंगा-बेशर्म चाकर है और अपना असली काम अपने गिरोह, यानी सरकार, यानी पूँजीपतियों की मैनेजिंग कमेटी के साथ मिलकर पूरी मुस्तैदी से कर रहा है I असाध्य संकटग्रस्त पूँजीवादी व्यवस्था ऐसा ही तारनहार पाने के लिए अभिशप्त है जो उसकी गाड़ी और अधिक गहरे दलदल में ले जाकर धँसा दे ! बर्बर हत्यारों के गिरोह का यह सरदार आज के समय का फासिस्ट है, फिलहाल दुनिया का सबसे बड़ा फासिस्ट !
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- डायरी के नोट्स : जो सोचती हूं उनमें से कुछ ही कहने की हिम्मत है और क्षमता भी
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- मेरी कविताई: जीवन की धुनाई, विचारों की कताई, सपनों की बुनाई
- मेरे प्रिय उद्धरण और कृति-अंश : कुतुबनुमा से दिशा दिखाते, राह बताते शब्द
- मेरी प्रिय कविताएं: क्षितिज पर जलती मशालें दण्डद्वीप से दिखती हुई
- देश-काल-समाज: वाद-विवाद-संवाद
- विविधा: इधर-उधर से कुछ ज़़रूरी सामग्री
- जीवनदृष्टि-इतिहासबोध
Monday, October 01, 2018
अरे भाई ! इसकी जोकरी, मूर्खता, झूठ, हल्केपन और फेंकूबाजी पर मत जाइए ! यह कुछ पूँजीपतियों पर कुछ ज्यादा मेहरबान ज़रूर है, पर यह समूचे पूँजीपति वर्ग का नंगा-बेशर्म चाकर है और अपना असली काम अपने गिरोह, यानी सरकार, यानी पूँजीपतियों की मैनेजिंग कमेटी के साथ मिलकर पूरी मुस्तैदी से कर रहा है I असाध्य संकटग्रस्त पूँजीवादी व्यवस्था ऐसा ही तारनहार पाने के लिए अभिशप्त है जो उसकी गाड़ी और अधिक गहरे दलदल में ले जाकर धँसा दे ! बर्बर हत्यारों के गिरोह का यह सरदार आज के समय का फासिस्ट है, फिलहाल दुनिया का सबसे बड़ा फासिस्ट !
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