Friday, April 06, 2018



हमारी परंपरा आजीवक और लोकायत दार्शनिकों और बुद्ध की परंपरा है, आदि भौतिकवादी वृहस्पति, सांख्य दर्शन के प्रणेता कपिल, वैशेषिक दर्शन के प्रवर्तक कणाद, न्याय दर्शन के प्रणेता गौतम अक्षपाद और आयुर्वेद के जनक, अपने समय के महान भौतिकवादी चरक और सुश्रुत आदि की परम्परा है I हमारी परम्परा कबीर, दादू, नानक, पलटू, रैदास आदि निर्गुण एकेश्वरवादी संतों की परम्परा है I हमारी परम्परा राधामोहन गोकुल, राहुल सांकृत्यायन, सहजानंद सरस्वती आदि की परम्परा है I हमारी परम्परा बिस्मिल, अशफाकउल्ला,आज़ाद,भगतसिंह, सुखदेव, राजगुरु, यतीन्द्रनाथ दास आदि की परम्परा है I हमारी परम्परा नौसेना विद्रोह, तेलंगाना-तेभागा-पुनप्रा वायलार और मज़दूर-किसान संघर्षों के महान क्रांतिकारियों की परम्परा है I धर्म और विकृत इतिहास के नाम पर शासक वर्ग अपनी परम्पराओं को समूची जनता की परम्परा के रूप में स्थापित करता है और दिमाग़ी ग़ुलामी की बेड़ियों को मज़बूत बनाता है I हमें अपनी परम्परा को जानना-समझना होगा, अपने मुक्ति-संघर्षों द्वारा नए इतिहास का निर्माण करते हुए अतीत के इतिहास के भुला और दबा दिए गए पन्नों को फिर से सामने लाना होगा I

भगत सिंह -सुखदेव-राजगुरु की शहादत की स्मृति में स्त्री मुक्ति लीग, नौजवान भारत सभा और बिगुल मज़दूर दस्ता की ओर से स्मृति संकल्प यात्रा निकालकर हम यह सन्देश पूरे उत्तराखंड के हर नौजवान और मेहनतक़श स्त्री-पुरुष के दिलों तक पहुँचाना चाहते हैं I हम नौजवानों और नागरिकों को आगाह करना चाहते हैं कि जाति और धर्म की राजनीति अब पूरे देश को तबाही और गृहयुद्ध की आग में जलाकर राख कर देने पर आमादा है I सांप्रदायिक फासिस्ट गैर-मुद्दों पर जनता को बाँट और लड़ाकर देशी-विदेशी लुटेरे पूँजीपतियों की सेवा कर रहे हैं I अगर अब भी हम नहीं जगे और यूँ ही नशे की नींद सोते रहे, तो हमें तबाह होने से कोई नहीं बचा सकता I यह समय अपने वर्तमान को और इतिहास को समझने का है, परम्परा और विरासत से प्रेरणा लेने का है और एक आर-पार की फैसलाकुन लड़ाई की तैयारी में जुट जाने का है I अगर हम अब भी इस बात को नहीं समझ रहे हैं, तो भगत सिंह और उनके साथियों का नाम तक लेने का हमें नैतिक अधिकार नहीं है I इतिहास हमें कभी माफ़ नहीं करेगा I



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