Tuesday, March 13, 2018

चीज़ों को बदलना ही होगा ...





विश्वास | उम्मीद | प्यार |
 
 
मेरे पास जवाब नहीं हैं | दरअसल मैं ज्यादा कुछ जानता नहीं | लेकिन यह मैं जानता हूँ कि ये चीज़ें कुछ प्रज्ज्वलित कर देती हैं तुम्हारे दिल में, भय और पछतावे के अँधेरे को हटाती हुई |
तहखाने में लगे मकड़ी के जाले जब साफ़ होते हैं, अपने सभी पुराने सपनों को पाते हो तुम कोनों में छुपे हुए, जिन्हें तुम भूल चुके थे |
और जब तुम धूल में पटकते हो अपना घूँसा और कहते हो, बस बहुत हो चुका ... मैं यहाँ सिर्फ़ ज़िंदा रहने के लिए नहीं हूँ, मैं यहाँ जीने के लिए हूँ ... हँसने और खेलने और अपनी गहनतम भावनाओं का अहसास करने के लिए हूँ ... खुशियों के समंदर को पा लेने के लिए हूँ और उसमें अपने साथ तैरने के लिए उन सबको आमंत्रित करने के लिए हूँ, जिनको मैं जानता हूँ | खुद को साहसिक ढंग से प्यार करने के लिए, अपने डरों के अँधेरे के साथ नृत्य करने के लिए और उनके सबको को भीतर आमंत्रित करने के लिए |
कुछ चीज़ों को ही नहीं बदलना है, हर चीज़ को बदलना है | सही होने में अब और नहीं है मेरी दिलचस्पी | मेरी दिलचस्पी ज़िंदा आदमी होने में है |
जब तुम खुद से वायदा करते हो इन चीज़ों का, और लड़ते हो प्यार के लिए, उम्मीद के लिए, हमेशा वास्तव में ज़िंदा बने रहने के साहसिक लक्ष्य के लिए ... तब कुछ न कुछ होता है |
कुछ उछलता है तुम्हारे भीतर और आकाश तुम्हारा दरवाज़ा पीटना शुरू कर देता है |
ज़िन्दगी हमेशा धीरज से इंतज़ार करती है कि तुम धीरज से इंतज़ार करना बंद कर दो |
साहसिक काम इधर-उधर कहीं नहीं है | वह तुम्हारे दिल की तहों में छुपा हुआ है |
ठीक इसीजगह | ठीक इसीसमय |

--- जे. ड्रेक
(जनवरी,2015)

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