Wednesday, July 16, 2014

अल सिस्‍सी के युद्ध विराम प्रस्‍ताव की असलियत



--कविता कृष्‍णपल्‍लवी

अंतरराष्‍ट्रीय बुर्जुआ मीडिया लगातार आज यह बात दुहराये जा रहा है कि मिस्र द्वारा प्रस्‍तावित युद्ध विराम प्रस्‍ताव को इस्रायल ने स्‍वीकार किया है, लेकिन हमास ने ठुकरा दिया है। सच्‍चाई एकदम उलट है।
गाजा पट्टी में लगातार इस्रायली बमबारी और नरसंहार के विरुद्ध दुनिया भर में हो रहे भारी जनप्रदर्शन से अमेरिका और सभी यूरोपीय साम्राज्‍यवादी देश सकते में हैं। यूरोप-अमेरिका के शासक स्‍वयं अपनी जनता का दबाव झेल रहे हैं। अमेरिका के टट्टू अरब देशों के शेख और शाह और 'रेण्टियर स्‍टेट्स' के शासक अरब जनता के खौलते गुस्‍से से घबराये हुए हैं। ऐसे में अमेरिकी इशारे पर मिस्र के राष्‍ट्रपति अल सिस्‍सी ने यह युद्धविराम प्रस्‍ताव रखा है, जो  वास्‍तव में जले पर नमक छिड़कने जैसा है।
इस युद्धविराम प्रस्‍ताव में कहीं भी गाजा की वह दमघोंटू घेरेबंदी खतम करने की बात नहीं है, जिसमें वहाँ के 18लाख नागरिक नर्क की जिन्‍दगी जी रहे हैं। तीन इस्रायली युवकों की हत्‍या के बदले आज इस्रायल गाजा पर दिन-रात बमबारी कर रहा है, लेकिन इस्रायली सेना तो इसके पहले भी हर महीने कुछ फिलिस्‍तीनियों की हत्‍या कर रही थी और कइयों को गिरफ्तार कर रही थी। इस्रायली जेलों में हजारों फिलिस्‍तीनी बिना किसी अभियोग या मुकदमे के बंद हैं, जिनमें बच्‍चे भी हैं। फिलिस्‍तीनी क्षेत्र में बलात् बसायी जा रही यहूदी बस्तियों के बाशिन्‍दे फिलिस्‍तीनियों को, औरतों को भी, आये दिन घेरकर बेइज्‍जत करते हैं और मारते-पीटते हैं। इन सभी स्थितियों पर अल सिस्‍सी का युद्धविराम प्रस्‍ताव चुप है। स्‍वयं अल सिस्‍सी यह तो बतायें कि वे गाजा पट्टी की सील की गयी अपने देश की सीमा को खोलेंगे या नहीं।
वास्‍तविकता यह है कि कसाई नेतन्‍याहू विश्‍वव्‍यापी जनाक्रोश के ठण्‍डा होने तक कुछ  मौका चाहता है। दूसरे, वह हमास द्वारा युद्धविराम को अस्‍वीकारने की बात प्रचारित करके आगे गाजा पट्टी पर अगले हमले और पूरा कब्‍जा के लिए अन्‍तरराष्‍ट्रीय माहौल बनाना चाहता है।
ग़ौरतलब है कि अल सिस्‍सी का युद्धविराम प्रस्‍ताव इस मसले पर भी मौन है कि गाजा पट्टी में जो भारी तबाही हुई है, उसे ठीक करने के लिए नेतन्‍याहू अन्‍तरराष्‍ट्रीय मदद गाजा पहुँचने देगा या नहीं।
सच्‍चाई यह है कि युद्धविराम प्रस्‍ताव को हमास नहीं बल्कि जियनवादी शासक गिरोह ठुकरा रहा है। हमास ने पहले ही यह प्रस्‍ताव रखा कि पिछली बार की झड़प के बाद नवम्‍बर, 2012 में युद्धविराम की जिन शर्तों को इस्रायल ने स्‍वी‍कार किया था, उन्‍हें ही वह फिर से लागू करे (इस तथ्‍य को पश्चिमी मीडिया के कुत्‍तों ने दबा दिया), गाजा पट्टी के प्रति दुश्‍मनी को समाप्‍त करे, फिलिस्‍तीनी एकता सरकार के गठन की जारी प्रक्रिया को बाधित न करे और निर्दोष फिलिस्‍तीनी बंदियों को रिहा करे। नवंबर, 2012 के समझौते में सीमा के आर-पार नागरिकों और बुनियादी ज़रूरतों की सामानों की आवाजाही को बाधित न करने की शर्त स्‍वीकारने के बावजूद इस्रायल ने उसे कभी भी लागू नहीं किया। मिस्र की अल सिस्‍सी हुकूमत ने भी पहले से अधिक सख्‍ती से सीमा सील करके गाजा की जनता के खिलाफ जियनवादी हत्‍यारों का ही साथ दिया है।
सच्‍चाई दिन के उजाले की तरह साफ है। अल सिस्‍सी का युद्धविराम प्रस्‍ताव दरअसल गाजा पट्टी के अवाम के लिए पूरीतरह घुटने टेककर अपने को जियनवादियों के रहमोकरम पर छोड़ देने का प्रस्‍ताव है जिसे कोई भी खुद्दार कौम मंजूर नहीं करेगी।
हत्‍यारे अपनी शर्तों पर नरसंहार रोकने की बात कर रहे हैं। गाजा पट्टी के लोग घेरेबंदी में बरसों से घुट-घुट कर जी रहे हैं और तिल-तिल कर मर रहे हैं। इतने शस्‍त्रसज्जित दुश्‍मन के खिलाफ वे लड़ रहे हैं, क्‍योंकि यह उनके जीने की शर्त है। फिलहाल तो वे फिलिस्‍तीनी राष्‍ट्र की पूरी स्‍वाधीनता भी नहीं, सिर्फ जीने की न्‍यूनतम अधिकार पर युद्धविराम प्रस्‍ताव रख चुके हैं। पर जियनवादी उसे ठुकराकर युद्धविराम के नाम पर पूर्ण आत्‍मसमर्पण और मुकम्‍मल गुलामी की शर्तें थोप रहे हैं।
इस सच्‍चाई को ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों तक पहुँचाया जाना चाहिए।

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