Wednesday, March 19, 2014


मार्क्‍सवाद को सच्‍चे मायनों में आत्‍मसात करने के लिए, हमें उसे न सिर्फ़ किताबों से सीखना चाहिए बल्कि मुख्‍यतया वर्ग संघर्ष के जरिए सीखना चाहिए, अमली काम के जरिए और मज़दूरों व किसानों के जन-समुदाय के साथ घनिष्‍ठ सम्‍पर्क के जरिए सीखना चाहिए। जब हमारे बुद्धिजीवी कुछ मार्क्‍सवादी किताबें पढ़ने के अलावा मज़दूरों व किसानों के जन-समुदाय के साथ घनिष्‍ठ सम्‍पर्क के जरिए और अपने अमली काम के जरिए कुछ समझ प्राप्‍त कर लेंगे, तो हम सब लोग एक ही भाषा बोलने लगेंगे, न सिर्फ़ देशभक्ति की समान भाषा में और समाजवादी व्‍यवस्‍था की समान भाषा में बोलने लगेंगे बल्कि शायद कम्‍युनिस्‍ट विश्‍व-दृष्टिकोण की समान भाषा में भी बोलने लगेंगे। अगर ऐसा हो गया तो यह नि‍श्चित है कि हम सब लोग और अच्‍छी तरह कार्य कर सकेंगे।

_माओ त्‍से-तुंग

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