Sunday, February 14, 2021

सच्चा प्यार केवल मुक्त मनुष्य कर सकता है....


 

प्रेम का कोई ख़ास दिन मेरे ख़याल से नहीं होता । ... लगता है जैसे प्रेम को श्रद्धांजलि दी जा रही हो। 

लेकिन जो किसी एक दिन प्रेम का उत्सव मनाते हैं, उनसे किसी शिक़ायत या मतभेद की भी कोई बात नहीं है ।

... वैसे इस रूढ़िरुग्ण समाज, मर्दवादी बर्बरता, आने-पाई की दुनिया, फासिस्टी घटाटोप और मनुष्यता के विघटन के अँधेरे युग में, लगता तो ऐसा ही है कि जो इस युग की सूत्रधार मानवद्रोही शक्तियों के विरुद्ध मुखर और सक्रिय नहीं है, वह ऐसा अमानुष है जो सच्चा प्यार न पा सकता है, न दे सकता है । उसका प्यार एक मिथ्याभास होता है, दो लोगों के बीच का एक स्वार्थी और ऐन्द्रिक सहकार होता है, एक सामाजिक सुरक्षा-संधि  होता है । 

सच्चा प्यार केवल मुक्त मनुष्य कर सकता है और मनुष्यता की भौतिक-आत्मिक दासता के युग में, केवल सामाजिक मुक्ति के किसी मोर्चे पर सक्रिय योद्धा ही वे मुक्त मनुष्य हैं जो वास्तव में प्यार को काव्यात्मक-दार्शनिक स्तर पर समझ सकते हैं और वैसा प्यार कर सकते हैं । 

अब यह एक अलग सवाल है कि जीवन उन्हें इसके लिए कुछ समय देता भी है या नहीं । और अगर देता भी है तो उन्हें दिनों में वर्षों को जीना होता है, क्योंकि इत्मीनान का समय उन्हें कभी मिल ही नहीं सकता जिनके लिए युद्ध अहर्निश जारी रहता है ।

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श्रेष्ठतम महाकाव्य त्रासदी ही होते हैं । 

बुर्जुआ समाज में मनुष्यता और न्याय के पक्ष में खड़े सुन्दर आत्माओं वाले बेहतरीन इंसानों के सुन्दर, काव्यात्मक प्रेम-सम्बन्ध भी कई बार अधूरे, अनभिव्यक्त रह जाते हैं, परवान नहीं चढ़ पाते, या विफल हो जाते हैं । कभी-कभी तो वे शुरू ही नहीं हो पाते । 

अच्छे और वैज्ञानिक दृष्टि-सम्पन्न लोग भी प्यार को लेकर नियतत्ववादी नहीं हो सकते । यह एक सचेतन क्रिया है जो जीवन और मानवीय सारतत्व के प्रति वैज्ञानिक दृष्टि की माँग करती है, लेकिन प्यार का शास्त्र भौतिक शास्त्र या रसायन शास्त्र जैसा नहीं हो सकता । उसकी निकटता काव्यशास्त्र, सौन्दर्यशास्त्र और दर्शनशास्त्र से बनती है ।

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सबसे घटिया,  हल्के, स्वार्थी और दुर्बलचित्त वे विफल प्रेमी होते हैं जो अपने हृदय के जख़्मों की नुमाइश करते हैं, सिगरेट के कश लगाकर लंबी आहें भरते हैं और अल्कोहल के दो पेग गले के नीचे उतरने के बाद पुराने दुःख भरे इतने गीत गाते हैं कि आँसुओं से चारों ओर कीचड़-कीचड़ हो जाता है ।

(डायरी में आज का इंदराज)

(14 Feb 2021)

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