Tuesday, April 07, 2020


मोदीजी के नाम एक नागरिक की खुली पाती

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प्रधान सेवक और चौकीदार आदि नाना उपाधियों से विभूषित प्रधान मंत्री मोदीजी !

पहले ही मैं साफ़-साफ़ बता दूँ कि मैंने न थाली और ताली बजायी थी और न ही आज दीये जलाए ! मुझे यह बहुत अश्लील, और विपत्ति में पड़े लोगों का मज़ाक़ उड़ाने जैसी क्रिया लगी !

माफ़ करें जहाँपनाह ! डाक्टरों को धन्यवाद देने के लिए ताली और थाली बजाने के इतने दिन बाद भी आपके वज़ीर, मनसबदार, हाकिम-हुक्काम और दरबारी डाक्टरों और अस्पताल के स्टाफ को पर्याप्त संख्या में पी.पी.ई. किट, मास्क्स और अन्य ज़रूरी चीज़ें तक उपलब्ध नहीं करा पाये हैं ! जिन डाक्टरों और नर्सिंग स्टाफ ने इसके लिए खुलकर आवाज़ उठायी, उन्हें प्रशासन धमका रहा है और प्रताड़ित कर रहा है ! बड़े पैमाने पर डॉक्टर और नर्स कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं ! अब बताइये, ताली और थाली पीटने का वह प्रोग्राम कितना घटिया और गंदा मजाक था डाक्टरों के साथ ! नहीं, आप ज़रा उनकी जगह पर खुद को रखकर देखिये !

और आज, कोरोना के ख़िलाफ़ एकता के नाम पर आपने पूरे देश में दीपावली ही मनवा दी ! बेअदबी मुआफ़ हो तो आपके हुज़ूर में अर्ज़ करूँ कि आप तो जहाँपनाह, नीरो से भी अधिक बेरहम निकले ! ये जो खाए-अघाए लोग अपनी बालकनियों में दीये जला रहे थे और पटाखे फोड़ रहे थे, इन्हीं के भाई-बंद बाहर से कोरोना वायरस लेकर आये थे ! और जब कहर पूरे देश पर टूट पड़ा तो कम से कम तीन से चार करोड़ तक मज़दूर महानगरों से दर-बदर होकर कई-कई सौ कि.मी. पैदल अपने गाँवों की ओर चल दिए ! कितने रास्ते में ही मर गए ! रोज़ कमाकर रोज़ खाने वाले करोड़ों लोग अभी भी शहरों में सपरिवार भूख और बीमारियों से मर रहे हैं ! कोरोना के ख़िलाफ़ संघर्ष में ये लोग अपनी एकजुटता कैसे जाहिर करें ? अस्पतालों में दूसरी बीमारियों का इलाज बंद है, ओ.पी.डी.ठप्प पड़े हैं और दूसरी ओर कोरोना के लिए प्रबंध का आलम यह है कि देश में वेंटिलेटर्स नहीं हैं, कोरेंटाइन और आइसोलेशन के लिए वार्ड नहीं हैं, टेस्ट किट्स नहीं हैं और निजी अस्पतालों में टेस्ट 4500 रुपये में हो रहा है ! आम जनता की एकजुटता के तब कोई मायने होते, अगर स्पेन की तरह आपने आपातकालीन क़दम के तौर पर सभी निजी अस्पतालों का अधिग्रहण कर लिया होता, सभी होटलों और रिसॉर्ट्स में भी इलाज और कोरेंटाइन के इंतज़ाम कर दिए गए होते, सभी स्कूलों-कॉलेजों और विभिन्न सार्वजनिक इमारतों में बेघर गरीबों के रहने के प्रबंध कर दिए गए होते और उनके मुफ्त भोजन का इंतज़ाम सरकार की ओर से किया गया होता ! हालत यह है कि अभीतक केवल 70,000 के आसपास ही जाँच हुए हैं , जो कि देश की आबादी को देखते हुए बहुत ही कम है ! ऐसी हालत में यह अनुमान स्वाभाविक है कि वास्तविक मरीजों की संख्या दर्शाए जा रहे आँकड़ों से कहीं बहुत ज्यादा होगी ! खैर, आँकड़ों की बाजीगरी तो आपका पुराना शगल है !

आपने कोरोना के मुकाबले के लिए नागरिकों की एकजुटता के प्रतीक के तौर पर आज रात नौ बजे नौ मिनट के लिए जो दीये जलवाए, वह ऐसा लग रहा था मानो भूखे-बीमार लोगों की मज़बूरी और बदहाली का मजाक उड़ाया जा रहा हो ! जो खाया-अघाया मध्य वर्ग यह जश्न मना रहा था, उसे वैसे भी दर-बदर, भूखे-बेहाल मेहनतकशों और आम लोगों से कुछ भी लेना-देना नहीं होता ! वह तो उनकी बर्बादी और बदहाली का जश्न रोज़ ही मनाता रहता है !

और मोदीजी ! एक बात और निवेदन करनी है ! आप कहते कुछ हैं और भक्तों तक सन्देश कुछ और पहुँचता है ! जिस दिन ताली और थाली के साथ घंटा-घड़ियाल भी आक्रामक ढंग से बजे थे, उसदिन 'जय श्रीराम' और 'वन्दे मातरम' आदि नारे भी घन-गर्जन करते हुए लगे थे ! यह डाक्टरों को धन्यवाद दिया जा रहा था या हिन्दुत्व की विजय का जश्न मनाया जा रहा था ? अनुच्छेद-370 का खात्मा और मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला तो पुरानी चीज़ें हो चुकी हैं, लेकिन उ.पू.दिल्ली के "दंगे" और "कटुओं को सबक सिखाने की घटना",, कैम्पसों में पुलिसिया और संघी गुंडों का कहर, कोरोना की वज़ह से तमाम शाहीन बागों का स्थगित किया जाना और म.प्र. में कांग्रेस की सरकार गिराकर अपनी सरकार बना लेना आदि-आदि ... --- संघ-समर्थकों के पास तो जश्न मनाने की कई वजहें थी ही, सो डाक्टरों को धन्यवाद देने और जनता की कोरोना से संघर्ष में एकजुटता के प्रदर्शन के नाम पर जश्न भी खूब मना और आक्रामक ढंग से हिन्दुत्व की विजय का उद्घोष भी खूब हुआ ! आपने तो सिर्फ़ दीये जलाने के लिए कहा था, पर मध्यवर्गीय कॉलोनियों में दीपावली सजाने के साथ ही पटाखे भी खूब फूटे और काफी देर तक , 'भारत माता की जय' 'जय श्रीराम' और 'वन्दे मातरम' के नारे लगते रहे ! ऐसा लग ही नहीं रहा था कि देश की 75 फीसदी आबादी कोरोना से भी अधिक भयंकर रूप में भूख, विस्थापन और विभिन्न बीमारियों का सामना कर रही है ! ऐसा लग ही नहीं रहा था कि कोरोना की असली महाविपत्ति तो अभी आगे आने वाली है ! ऐसा लग ही नहीं रहा था कि कोरोना से लड़ने में तैयारियों की सरकार की ओर से जो लापरवाही और कमी रही है, वह आपराधिक है ! बस यही लग रहा था कि मोदी की हिन्दुत्व सेना ने अपनी मुहिम में कोई भारी सफलता हासिल की है, जिसका उत्सव मनाया जा रहा है ! माफ़ करें, यह उत्सव श्मशान में मदमत्त कापालिकों के नृत्य जैसा जुगुप्सापूर्ण, वीभत्स और भयंकर लग रहा था ! यह मौत के खौफ के साए में भूतों-प्रेतों-पिशाचों-हाकिनियों-डाकिनियों और चुड़ैलों के उन्मत्त उत्सव जैसा ही लग रहा था !

मोदीजी ! आप इन अनुष्ठानों और विजयोत्सवों की आड़ में अपनी आपराधिक चूकों और विफलताओं को आखिर कबतक छिपा सकेंगे ?आप कभी भी नहीं स्वीकार करेंगे कि WHO की चेतावनियों और कोरोना के विश्वव्यापी फैलाव के बावजूद आप 17 मार्च तक एकदम निश्चिन्त बने रहे ! पी.पी.ई. किट आदि चीज़ों का निर्यात होता रहा ! कोई इंतज़ाम नहीं ! और फिर अचानक एक दिन का जनता कर्फ्यू और फिर चार घंटे की नोटिस पर 21 दिनों के लिए पूरे देश में लॉकडाउन ! यह तो महामारी को जनसंहार के लिए न्योता देने के समान था !इतनी भयंकर गलती पर, यदि रत्ती भर भी मानवीय संवेदना और दायित्व-बोध होता तो आप फ़ौरन इस्तीफा दे देते ! पर सभी जानते हैं, यह तो आप किसी कीमत पर नहीं करेंगे !

अंत में हम इतना ज़रूर कहेंगे कि किसी भी शासक को इतना अहम्मन्य और विजयोन्मत्त नहीं होना चाहिए ! इतिहास एक न एक दिन न्याय के कटघरे में सभी निरंकुश शासकों और तानाशाहों को खड़ा करता है और तब सर से सफलता का सारा नशा पलक झपकते उतर जाता है ! पर अफसोस ! आप इतिहास पढ़ते ही नहीं और उसके बारे में हमेशा उल्टी-सीधी बातें करके उपहास के पात्र बनते रहते हैं !

एक बात और बता दें ! किसी भी समय में, कोई शासक चाहे जितना भी शक्तिशाली और आतंककारी हो, कुछ लोग ऐसे होते ही हैं जो उसके आगे अपने तर्क और विवेक को गिरवी रखकर साष्टांग होने से इनकार कर देते हैं ! कुछ लोग ऐसे होते ही हैं जो पराजय और मृत्यु की चिंता किये बगैर सत्य और न्याय के लिए लड़ते हैं ! सभी लोग ऐसे चूहे नहीं होते जो बाँसुरी बजाने वाले के पीछे आँखें मूँदे चलते चले जाते हों ! शक्तिशाली सत्ताधारी बहुत सारे लोगों के साथ वही व्यवहार कर सकता है जो सर्कस का रिंगमास्टर सधाए गए जानवरों के साथ करता है ! पर कुछ लोग कभी भी सधाए गए जानवर नहीं बन पाते ! वे आपके इशारे पर न ताली-थाली बजाते हैं, न दीये जलाते हैं और न 'ता-थैय्या ता-थैय्या' नाचने को तैयार होते हैं !

बिना किसी धन्यवाद के,
आपके देश की एक अदना नागरिक !

(6अप्रैल, 2020)

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