भारतीय आम जन के खून-पसीने की कमाई से और मज़दूरों की मेहनत से बिछाई गयी भारतीय रेल की पटरियों पर निजी क्षेत्र की पहली ट्रेन जब गुज़री तो लोगों ने उसपर पत्थर फेंके और कुछ रेलकर्मी नारे लगते हुए पटरियों पर बैठ गए !
यह एक प्रतीक-घटना है, भविष्य का एक रूपक है !
एक न एक दिन ऐसा ज़रूर होगा कि पूँजी की जिस ट्रेन में आज फासिज्म का इंजन लगा हुआ है और जो हमारी ज़िन्दगी को रौंदती हुई, धड़धड़ाती हुई गुज़र रही है, लोग उसपर पत्थर फेंकेंगे, फिर उसकी पटरियों को जाम कर देंगे !
अभी वह दिन दूर लग रहा है, लेकिन ज़िन्दगी की इस कदर तबाही को लोग आखिरकार कबतक बर्दाश्त करेंगे ?
(7अक्टूबर, 2019)
No comments:
Post a Comment