जैसे कोई ज़रूरी ख़त लेकर आता है डाकख़ाने देर से
खिड़की बंद हो चुकी होती है I
जैसे कोई शहर को आसन्न बाढ़ की चेतावनी देना चाह रहा हो,
पर वह दूसरी ज़ुबान बोलता है I वे उसे नहीं समझ पाते I
जैसे कोई भिखारी पाँचवीं बार वह दरवाज़ा खटखटाता है
जहाँ से चार दफ़ा पहले कुछ मिला था उसे
पाँचवी बार वह भूखा है I
जैसे किसी के घाव से ख़ून बह रहा हो और डॉक्टर का इंतज़ार कर रहा हो
उसका ख़ून बहता ही जाता है I
वैसे ही हम आगे आकर बताते हैं कि हमारे साथ बुरा हुआ है I
.
पहली बार बताया गया था कि हमारे दोस्तों का क़त्ल किया जा रहा है
दहशत की चीख़ थी
फिर सौ लोगों को क़त्ल किया गया I
लेकिन जब हज़ार क़त्ल किये गये, और क़त्लेआम की कोई इंतेहा नहीं थी
ख़ामोशी की एक चादर पसर गयी I
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जब बुराई बारिश की तरह आती है, तो कोई भी नहीं चिल्लाता 'रुको'!
जब अपराध ढेर में तब्दील होने लगते हैं, तो वे अदृश्य हो जाते हैं I
जब दुख असहनीय हो जाते हैं, चीख़ें नहीं सुनी जातीं I
.
चीख़ें भी बरसती हैं गर्मी की बारिश की तरह I
-- बेर्टोल्ट ब्रेष्ट
(अनुवाद:प्रकाश के रे )
(साथ का चित्र सुप्रसिद्ध इतालवी चित्रकार रेनातो गुत्तुस्सो का 1941 में बनाया गया चित्र 'Crocifissione/Crucifixion' है, जिसमें सलीब पर चढ़ाए गए ईसा की छवि को पुनर्सृजित करते हुए तत्कालीन इतालवी समाज में व्याप्त फासिस्ट आतंक को अभिव्यक्त किया गया है ! गुत्तुस्सो अभिव्यंजनावादी यथार्थवादी इतालवी चित्रकार था जो फासिस्ट दौर में प्रतिबंधित कम्युनिस्ट पार्टी का सदस्य भी था !)
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