Saturday, May 04, 2019

लियोनार्दो दा विन्सी के कुुुछ उद्धरण...



मैं उन्हें प्यार करता हूँ जो परेशानियों में भी मुस्कुरा सकते हैं, जो विपत्तियों से शक्ति हासिल करते हैं और अप्रतिष्ठा एवं निंदा जिन्हें बहादुर बनाती हैं I सिकुड़ जाना छोटे दिमागों की फ़ितरत होती है, मगर जिनके दिल मज़बूत होते हैं, और जिनका अंतःकरण उनके आचरण का समर्थन करता है, वे अपने उसूलों पर मृत्युपर्यन्त अडिग रहते हैं।

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(15 अप्रैल 1452-2 मई 1519)

(पुनर्जागरणकाल के महान इतालवी मानवतावादी चिन्तक, चित्रकार, मूर्तिकार, शिल्पकार,वास्तुकार, वैज्ञानिकआदि I एक बहुमुखी प्रतिभा)


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एक बार उड़ने का स्वाद चख लेने के बाद जब तुम ज़मीन पर चलोगे तो तुम्हारी आँखें आसमान की ओर देखती रहेंगी, क्योंकि वहाँ तुम कभी थे और वापस फिर से वहाँ होने के लिए तुम ललकते रहोगे।



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वह, जो सिद्धांत के बिना व्यवहार को पसंद करता है, उस नाविक के समान होता है जो बिना पतवार और कुतुबनुमा के जहाज़ पर सवार हो जाता है और यह जानता ही नहीं कि वह कहाँ जा पहुँचेगा।



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लोगों को तीन वर्गों में बाँटा जा सकता है। वे जो देखते हैं, वे जो तब देखते हैं जब उन्हें दिखाया जाता है, और वे जो नहीं देखते हैं।


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अच्छीतरह से बिताया गया दिन सुखद नींद लाता है और अच्छीतरह से बिताई गयी ज़िन्दगी सुखद मौत।


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मैं अमल की ज़रूरत का क़ायल हूँ। जानना काफ़ी नहीं है, हमें लागू करना होगा। चाहत ही काफ़ी नहीं होगी, हमें अमल में उतारना होगा।


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सीखना दिमाग़ को कभी थकाता नहीं।


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बिना इस्‍तेमाल के लोहे में ज़ंग लग जाती है, ठहरा हुआ पानी गन्‍दा हो जाता है.... और इसी तरह निष्क्रियता मस्तिष्‍क को खोखला कर देती है।



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