कोई किताब पढ़ने के दो मक़सद होते हैं। पहला, तुम्हें उसमें आनंद मिलता है; और दूसरा, तुम उसके बारे में डींगें हाँक सकते हो।
(रसल ने यह बात अपने समाज के बारे में कही थी। हमारे यहाँ तो लोग किताबों के फ्लैप और समीक्षा पढ़कर ही उनके बारे में डींगें हाँक लेते हैं और गूगल करके उनपर गंभीर लेख लिख देते हैं!)
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मनुष्य अज्ञानी पैदा होता है, मूर्ख नहीं। शिक्षा द्वारा उसे मूर्ख बनाया जाता है।
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